सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है. इस पर स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने कहा है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले ही एक बयान जारी किया है कि हम इस कमेटी की प्रक्रिया में भाग नहीं लेंगे. ऐसी कोई याचिका कोर्ट से नहीं की गई है, जिसमें कोई कमेटी बनाने को कहा गया हो. योगेंद्र यादव ने कहा कि कमेटी के नाम जारी होने के साथ हमारी आशंका स्पष्ट हो गई है. इनमें से तीन सदस्य कृषि कानूनों के मुखर पैरोकार हैं. यह सरकारी समिति है.
यादव ने कहा, कृषि कानून पर अस्थायी रोक लगाई है, जो कभी भी उठाई जा सकती है. इसके आधार पर आंदोलन खत्म नहीं किया जा सकता. समिति में शामिल अशोक गुलाटी ही कृषि कानूनों को लाने में अहम भूमिका रही है. ये सभी लोग किसान विरोधी कानूनों के समर्थन में है. ये चारों आंदोलन से कोई संबंध नहीं रखते. सरकार और सुप्रीम कोर्ट इस कमेटी से बात करना चाहें तो कर लें, लेकिन आंदोलित किसान उनसे बात नहीं करेंगे. सरकार ने आंदोलनकारियों को हटाने से जुड़ी बेकार की याचिकाओं का संज्ञान नहीं लिया, ये भी सराहनीय है.
भीड़ में हर किसी के बारे में दावा नहीं कर सकते
अटार्नी जनरल के इस बयान पर कि आंदोलन में कुछ खालिस्तानी तत्व घुसे हुए हैं, इस पर योगेंद्र यादव ने हैरानी जताई. योगेंद्र यादव ने कहा कि अगर कुछ मुट्ठी भर ऐसे लोग कहीं भी होते भी हैं तो आंदोलन की दशा और दिशा तय करने में उनकी कोई निर्णयकारी भूमिका नहीं है. लाखों की भीड़ में हर किसी के बारे में कोई भी दावा नहीं कर सकता. खुफिया एजेंसी के पास ऐसे कोई इनपुट हैं तो उसे गृह मंत्रालय के साथ साझा किया जाना चाहिए. वे इस पर हलफनामा देना चाहें तो कोर्ट दे सकते हैं.
गणतंत्र दिवस की परेड में विघ्न नहीं डालेंगे किसान
योगेंद्र यादव ने स्पष्ट किया कि 26 जनवरी का ट्रैक्टर मार्च पहले की तरह जारी रहेगा. किसानों का गणतंत्र दिवस परेड में विघ्न डालने का कोई इरादा नहीं है. किसान तिरंगे की आन-बान और शान को बनाए रखेगा. उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में बाधा डालने को लेकर अफवाह फैलाई गई है. आंदोलन स्थल रामलीला मैदान शिफ्ट करने के सवाल पर योगेंद्र यादव ने यह भी कहा कि हम तो पहले वहीं जाना चाहते, लेकिन हमें बॉर्डर पर रोक दिया गया. अब दोबारा अचानक ये सवाल कहां से पैदा हो गया.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अगले आदेश तक ये कानून लागू नहीं होंगे. कोर्ट ने इन कानूनों पर चर्चा के लिए एक समिति का गठन भी किया है. अदालत ने हरसिमरत मान, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, डॉ प्रमोद कुमार जोशी (पूर्व निदेशक राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन), अनिल धनवत के नाम कमिटी के सदस्य के तौर पर सुझाए हैं.
हालांकि किसान संगठन समिति ऐसे समिति को मानने से इनकार कर रहे हैं. किसान नेता किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब के प्रमुख सतनाम सिंह पन्नू का कहना है कि यह कदम संघर्ष को दांवपेंच में फंसाने वाला है और इसे खत्म करने की योजना है. किसान नेताओं का कहना है कि कमेटी कोई भी फैसला कर लें हम नहीं मानेंगे. संयुक्त किसान मोर्चा इसमें कोई शिरकत नहीं करेगा. इसमें किसानों के नाम पर राजनीतिक दल के प्रतिनिधि हैं. पन्नू ने यहां तक कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय सरकार के पक्ष में जाते प्रतीत हुए हैं
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