राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि भौतिक प्रगति के बावजूद विश्व आज भी उन्हीं समस्याओं का सामना कर रहा है जो हजारों साल से मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि सभी समस्याओं का समाधान ‘आध्यात्मिक एकता' की प्राचीन भारतीय अवधारणा में निहित है.
भागवत ने प्राचीन परंपराओं और संस्कृतियों के आध्यात्मिक गुरुओं को समर्पित एक गैर-लाभकारी संगठन अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक अध्ययन केंद्र (आईसीसीएस) द्वारा आयोजित आठवें ‘इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस एंड गैदरिंग ऑफ एल्डर्स' के उद्घाटन सत्र में यह टिप्पणी की. यह सम्मेलन एक फरवरी तक चलेगा.
भागवत ने कहा कि शिक्षा और प्रौद्योगिकी में प्रगति के बावजूद युद्ध अब भी होते हैं और बाहरी तथा आंतरिक, दोनों तरह से शांति की कमी है. उन्होंने व्यक्तिगत या सामुदायिक स्तर पर अहंकार और मन की संकीर्णता के मुद्दों पर प्रकाश डाला.
भागवत ने कहा कि इन समस्याओं को समझने और हल करने के प्रयास किए गए, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न सिद्धांत और दर्शन सामने आए हैं, जो मुख्य रूप से भौतिक समृद्धि पर केंद्रित हैं.
उन्होंने कहा कि प्राचीन परंपराओं ने ‘आध्यात्मिक एकता' की अवधारणा को मान्यता दी, जिसे भारत में ‘धर्म' के रूप में जाना जाता है.
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