नए संसद भवन (New Parliament Building) में मंगलवार (19 सितंबर) से कामकाज शुरू हो गया. आज लोकसभा (Loksabha) में 128वां संविधान संशोधन बिल यानी 'नारी शक्ति वंदन विधेयक' पेश किया गया. इसके मुताबिक, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेंशन लागू किया जाएगा. इस फॉर्मूले के मुताबिक, लोकसभा की 543 सीटों में 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. महिला आरक्षण बिल (Women's Reservation Bill)कानून का रूप लेने के बाद 2029 के लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections 2024) या इससे पहले के कुछ विधानसभा चुनावों से लागू हो सकता है.
महिला आरक्षण बिल का कांग्रेस समेत विपक्ष के कई दलों ने स्वागत किया है. आइए जानते हैं कि विपक्ष के नेताओं ने इस बिल पर क्या कहा:-
कांग्रेस
महिला आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस ने श्रेय लेने की कोशिश की. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के बयान पर हंगामा हुआ. उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान बिल लाया गया था. यह बिल अभी मौजूद है. इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हम नया बिल लाए हैं. आप जानकारी दुरुस्त कर लीजिए.
राहुल गांधी
राहुल गांधी ने कहा कि अब दलगत राजनीति से ऊपर उठें. हम महिला आरक्षण बिल पर बिना शर्त के समर्थन करेंगे.
राबड़ी देवी
बिहार की पूर्व सीएम और लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी ने कहा, "महिला आरक्षण के अंदर वंचित, उपेक्षित, खेतिहर और मेहनतकश वर्गों की महिलाओं की सीटें आरक्षित हो. मत भूलो, महिलाओं की भी जाति है. अन्य वर्गों की तीसरी/चौथी पीढ़ी की बजाय वंचित वर्गों की महिलाओं की अभी पहली पीढ़ी ही शिक्षित हो रही है. इसलिए इनका आरक्षण के अंदर आरक्षण होना अनिवार्य है."
महिला आरक्षण के अंदर वंचित, उपेक्षित,खेतिहर एवं मेहनतकश वर्गों की महिलाओं की सीटें आरक्षित हो।मत भूलो, महिलाओं की भी जाति है।
— Rabri Devi (@RabriDeviRJD) September 19, 2023
अन्य वर्गों की तीसरी/चौथी पीढ़ी की बजाय वंचित वर्गों की महिलाओं की अभी पहली पीढ़ी ही शिक्षित हो रही है इसलिए इनका आरक्षण के अंदर आरक्षण होना अनिवार्य है।
आतिशी
आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने महिला आरक्षण बिल को बेवकूफ बिल बताया है. उन्होंने कहा, "ये महिला बेवकूफ बनाओ बिल है. क्योंकि 2024 के चुनाव में महिलाओं को आरक्षण नहीं मिलेगा. जनगणना होगी फिर परिसीमन होगा. सीधे समझें तो जल्द से जल्द भी महिला आरक्षण बिल लागू हुआ, तो 2027-28 से पहले नहीं होगा. 2024 के चुनाव से पहले देश की महिलाओं को बेवकूफ बनाने का काम किया जा रहा है. केंद्र सरकार अभी की 543 सीट में 33% आरक्षण क्यों नहीं दे सकती?
PM और BJP से मांग है कि बिल में संशोधन किया जाए और 2024 से ही एक तिहाई आरक्षण दें."
अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए. इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (PDA) की महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए."
महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 19, 2023
इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (PDA) की महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए।
बीएसपी सुप्रीमो मायावती
बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने महिला आरक्षण बिल को लेकर बीजेपी का प्रेस नोट अपने X हैंडल पर शेयर किया है.
19-09-2023-BSP PRESS NOTE-WOMEN RESERVATION BILL pic.twitter.com/6P9Z8Cb3eT
— Mayawati (@Mayawati) September 19, 2023
AAP के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा
राज्यसभा सांसद राघव चढ्ढा ने कहा है कि 2024 के चुनावों के लिए कोई महिला आरक्षण लागू नहीं होने जा रहा है. उन्होंने इसके लिए महिला आरक्षण विधेयक के खंड-5 के प्रावधानों का जिक्र किया है. राघव चड्ढा ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर की गई एक पोस्ट में लिखा कि महिला आरक्षण विधेयक संविधान के 128वां संशोधन अधिनियम के खंड 5 के अनुसार, आरक्षण परिसीमन अभ्यास और नई जनगणना के बाद ही लागू होगा."
सांसद राघव चड्ढा ने आगे लिखा, " क्या इसका मतलब यह है... 2024 के चुनावों के लिए कोई महिला आरक्षण नहीं, देश और महिलाओं को महिला आरक्षण के लिए नये सिरे से जनगणना और परिसीमन का इंतजार करना होगा, बिल को निष्पादित करने की वसीयत के बिना तैयार किया गया है." उन्होंने आगे कहा कि हम बिना किसी देरी के महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने की मांग करते हैं.
महिला आरक्षण लाएंगे पर तारीख नहीं बताएंगे....
— Raghav Chadha (@raghav_chadha) September 19, 2023
As per Clause 5 of the #WomenReservationBill, the reservation will kick in only AFTER a delimitation exercise and a fresh census - post the Constitution (One Hundred and Twenty Eighth Amendment) Act, 2023.
Does this imply:
1⃣ No… pic.twitter.com/B7diAtif9n
RJD सांसद मनोज झा
आरजेडी से सांसद मनोज झा ने लिखा, "यदि महिला आरक्षण विधेयक के पीछे का विचार महिलाओं को व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना रहता तो यह एससी, एसटी और ओबीसी की महिलाओं तक पहुंच बनाए बिना नहीं हो सकता था. कई मायनों में, यह विश्वसनीयता पूर्णतः खो चुकी एक सरकार का post dated promise है. साफ़ शब्दों में ये धोखा है."
यदि महिला आरक्षण विधेयक के पीछे का विचार महिलाओं को व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना रहता तो यह एससी, एसटी और ओबीसी की महिलाओं तक पहुंच बनाए बिना नहीं हो सकता था.
— Manoj Kumar Jha (@manojkjhadu) September 19, 2023
कई मायनों में, यह विश्वसनीयता पूर्णतः खो चुकी एक सरकार का post dated promise है. साफ़ शब्दों में ये धोखा है.
शिवसेना यूबीटी की नेता प्रियंका चतुर्वेदी
महिला आरक्षण बिल के बारे में शिवसेना यूबीटी की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने बताया कि इसे लेकर अभी खुश होने की जरूरत नहीं है. क्योंकि यह बिल पास होने के बाद भी अगले कुछ सालों में लागू नहीं हो सकेगा. इसके कानून बनने के बाद भी लंबा इंतजार करना होगा. इस बिल की मांग काफी लंबे समय से चल रही थी और देश की महिलाओं ने इसके लिए लंबी लड़ाई लड़ी है.
3 दशक से पेंडिंग था बिल
संसद में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव करीब 3 दशक से पेंडिंग था. यह मुद्दा पहली बार 1974 में महिलाओं की स्थिति का आकलन करने वाली समिति ने उठाया था. 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण बिल को बहुमत से पारित करा लिया था. तब सपा और आरजेडी ने बिल का विरोध करते हुए तत्कालीन UPA सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी.
इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया. तभी से महिला आरक्षण बिल पेंडिंग है. अब मोदी सरकार ने लोकसभा में इसे पास करा लिया है. ये बिल चर्चा के लिए राज्यसभा में भेजा जाएगा. फिर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद ये बिल कानून बन जाएगा.
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