मुंबई:
जानेमाने शायर और गीतकार निदा फाजली का सोमवार को यहां निधन हो गया। उन्होंने सुबह अपने घर पर सांस लेने में परेशानी की शिकायत की थी। वह 78 वर्ष के थे।'कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता' जैसी लोकप्रिय गजल लिखने वाले निदा फाजली का पूरा नाम मुकतिदा हसन निदा फाजली था। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा गया था।
दिल्ली में एक कश्मीरी परिवार में जन्मे फाजली की स्कूली पढ़ाई ग्वालियर में हुई। विभाजन के दौरान उनके माता-पिता पाकिस्तान चले गये, लेकिन फाजली ने भारत में ही रहने का फैसला किया। उनके परिवार में पत्नी और एक बेटी हैं।
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पढ़ें - निदा फाज़ली की मशहूर गज़लें
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फाजली के एक रिश्तेदार ने बताया, 'उन्होंने आज सुबह 11 बजे के आसपास अपने घर पर सांस लेने में कठिनाई की शिकायत की। जब हम अस्पताल पहुंचे तो हमें बताया गया कि वह नहीं रहे।' उन्होंने कहा, 'उन्हें मामूली सर्दी और खांसी थी। उन्हें हाल-फिलहाल ऐसी कोई अन्य समस्या नहीं थी, इसलिए यह हमारे लिए चौकाने वाली बात है।' फाजली के पिता भी उर्दू शायर थे। फाजली को उर्दू और हिंदी में गजलों, नज्मों और दोहों के लिए आम बोलचाल की भाषा के अलग तरह से इस्तेमाल और खूबसूरती से उन्हें पेश करने के लिए जाना जाता है। उनकी कुछ प्रसिद्ध गजलों में 'कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता', 'आ भी जा, आ भी जा' (सुर), 'तू इस तरह से मेरी जिंदगी में' (आप तो ऐसे ना थे) और 'होश वालों को खबर क्या' (सरफरोश) आदि शामिल हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने फाजली के निधन पर शोक प्रकट किया। निदा फाजली की एक रचना के बोल हैं, 'घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें, किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए।'
सोनिया, राहुल और लता ने दी श्रद्धांजलि
सोनिया ने अपने शोक संदेश में कहा, 'साहित्य अकादमी और पद्म श्री से सम्मानित शायर को उनके लेखन के लिए हमेशा याद रखा जाएगा जिसने एक पूरी पीढ़ी को सम्मोहित किया।' महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि फाजली के निधन से उर्दू साहित्य ने एक लोकप्रिय शख्सियत को खो दिया। स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने भी निदा फाजली के निधन पर दु:ख व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। लता ने ट्वीट किया, 'आज मशहूर शायर निदा फाजली साहब का इंतकाल हुआ, इस बात का मुझे बहुत दु:ख है। अल्लाह उन्हें जन्नत अता फरमाए ये मेरी दिली दुआ है। 'पद्म श्री' से सम्मानित 78 वर्षीय फाजली उर्दू के मशहूर शायर थे। टीवी धारावाहिक 'सैलाब', 'नीम का पेड़' और 'ज्योति' जैसे कार्यक्रमों के शीर्षक गीत उन्हीं की लेखनी से आए।
दिल्ली में एक कश्मीरी परिवार में जन्मे फाजली की स्कूली पढ़ाई ग्वालियर में हुई। विभाजन के दौरान उनके माता-पिता पाकिस्तान चले गये, लेकिन फाजली ने भारत में ही रहने का फैसला किया। उनके परिवार में पत्नी और एक बेटी हैं।
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पढ़ें - निदा फाज़ली की मशहूर गज़लें
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फाजली के एक रिश्तेदार ने बताया, 'उन्होंने आज सुबह 11 बजे के आसपास अपने घर पर सांस लेने में कठिनाई की शिकायत की। जब हम अस्पताल पहुंचे तो हमें बताया गया कि वह नहीं रहे।' उन्होंने कहा, 'उन्हें मामूली सर्दी और खांसी थी। उन्हें हाल-फिलहाल ऐसी कोई अन्य समस्या नहीं थी, इसलिए यह हमारे लिए चौकाने वाली बात है।' फाजली के पिता भी उर्दू शायर थे। फाजली को उर्दू और हिंदी में गजलों, नज्मों और दोहों के लिए आम बोलचाल की भाषा के अलग तरह से इस्तेमाल और खूबसूरती से उन्हें पेश करने के लिए जाना जाता है। उनकी कुछ प्रसिद्ध गजलों में 'कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता', 'आ भी जा, आ भी जा' (सुर), 'तू इस तरह से मेरी जिंदगी में' (आप तो ऐसे ना थे) और 'होश वालों को खबर क्या' (सरफरोश) आदि शामिल हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने फाजली के निधन पर शोक प्रकट किया। निदा फाजली की एक रचना के बोल हैं, 'घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें, किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए।'
सोनिया, राहुल और लता ने दी श्रद्धांजलि
सोनिया ने अपने शोक संदेश में कहा, 'साहित्य अकादमी और पद्म श्री से सम्मानित शायर को उनके लेखन के लिए हमेशा याद रखा जाएगा जिसने एक पूरी पीढ़ी को सम्मोहित किया।' महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि फाजली के निधन से उर्दू साहित्य ने एक लोकप्रिय शख्सियत को खो दिया। स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने भी निदा फाजली के निधन पर दु:ख व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। लता ने ट्वीट किया, 'आज मशहूर शायर निदा फाजली साहब का इंतकाल हुआ, इस बात का मुझे बहुत दु:ख है। अल्लाह उन्हें जन्नत अता फरमाए ये मेरी दिली दुआ है। 'पद्म श्री' से सम्मानित 78 वर्षीय फाजली उर्दू के मशहूर शायर थे। टीवी धारावाहिक 'सैलाब', 'नीम का पेड़' और 'ज्योति' जैसे कार्यक्रमों के शीर्षक गीत उन्हीं की लेखनी से आए।
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