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This Article is From Jan 15, 2016

2020 तक यूरो-6 की टाइमलाइन को लेकर ऑटो कंपनियां अनमनीं

2020 तक यूरो-6 की टाइमलाइन को लेकर ऑटो कंपनियां अनमनीं
प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली: सरकार ने भले ही घोषणा की है कि 2020 तक सारे देश में यूरो-6 की तर्ज पर बी एस – 6 मानकों को लागू कर दिया जाएगा लेकिन ऑटोमोबाइल उद्योग ने सरकार से कहा है कि इतनी जल्दी भारत स्टेज – 6 मानकों को लाना मुमकिन नहीं होगा। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से गुरुवार को मिले ऑटो कंपनियों के सीईओ और डायरेक्टरों ने साफ कहा कि सरकार की तय समय सीमा में मानकों को लागू करना बहुत मुश्किल है।

व्यवहारिक नहीं है समय सीमा
अशोक लेलेंड के विनोद दशारी ने गडकरी से मिलने के बाद पत्रकारों से कहा कि ‘दुनिया भर के देशों ने यूरो-4 से यूरो-5 में जाने के लिए पांच साल और फिर यूरो-5 से यूरो-6 में जाने के लिए 6 साल लगाए हैं। यानी यूरो-4 से यूरो-6 में जाने के लिए कुल 11 साल, इसलिए भारत में बीएस-4 से बीएस-6 में जाने के लिए दी गई 2020 की समय सीमा व्यवहारिक नहीं है।’ हालांकि दशारी और बाकी सभी कंपनियों के सीईओ और निदेशकों ने यह भी कहा कि वह सरकार के बताए मानकों के हिसाब से इस समय सीमा में यथावत बदलाव करने की कोशिश करेंगे। दशारी ने NDTV इंडिया से कहा ‘हम कोशिश करेंगे और पूरी कोशिश करेंगे... कितना हो पाएगा यह देखना होगा।’

छोटी कंपनियों की दिक्कतें ज्यादा
ऑटो कंपनियों का कहना है कि यूरो-6 के लिए सभी कार और वाहन निर्माता कंपनियों को एक तराजू पर नहीं तौला जा सकता। होंडा के रमन लाल शर्मा का कहना है ‘विदेशी कंपनियां तो यूरो – 6 के लिए बाहर से उपकरण आयात कर सकती हैं लेकिन कई देशी और छोटी कंपनियों को वक्त चाहिए।’

समय सीमा लो लेकर सरकार का सख्त रुख
हालांकि सरकार ने ऑटो इंडस्ट्री से कहा कि 2020 तक बीएस – 6 मानकों को पूरा करना ही होगा। सरकार का कहना है कि कई कार कंपनियां अभी बीएस-6 मानकों की कारें और वाहन निर्यात कर रही हैं, इसलिए देश के भीतर वाहन बनाना नामुमकिन नहीं है। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, ‘ऑइल कंपनियों ने 2020 तक बीएस – 6 गाड़ियों के लिए ईंधन उपलब्ध कराने की बात कही है। इसमें किसी को शक नहीं होना चाहिए। पिछले दिनों न्यायपालिका ने भी प्रदूषण को लेकर कड़े कदम उठाने को कहा है, हमें इस बात का भी खयाल रखना चाहिए।’

जब ईंधन उपलब्ध है तो ढिलाई क्यों? ऑटो कंपनियों के रुख पर प्रदूषण और पर्यावरण के लिए काम कर रही सीएसई की निदेशक सुनीता नारायण ने कहा, ‘ऑटो कंपनियां 2020 की समय सीमा को अव्यवहारिक नहीं कह सकतीं। हम यूरोप से पहले ही 10 साल पीछे चल रहे हैं और जब बीएस-6 क्वॉलिटी का ईंधन हमारे पास होगा तो हम इस मामले में ढिलाई क्यों बरतें?’

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