बरामद राशि और हथियारों के साथ पुलिस अधिकारी।
मुंबई:
ठाणे पुलिस ने अब तक की सबसे बड़ी लूट की पूरी साजिश का रिकॉर्ड समय में न सिर्फ पर्दाफाश कर दिया बल्कि लूटे गए 9 करोड़ 12 लाख रूपये में से 4 करोड़ 9 लाख रूपये भी बरामद कर लिए हैं। पुलिस के लिए यह डिटेक्शन कितना अहम है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ठाणे पुलिस की पत्रकार परिषद में खुद राज्य के पुलिस महानिदेशक मौजूद थे।
करोड़ों रुपये रोज देखने वाले ने रची साजिश
ठाणे के पुलिस आयुक्त परमबीर के मुताबिक लूट की इस वारदात का मास्टर माइंड ठाणे का ही रहने वाला आकाश चंद्रकांत चव्हाण उर्फ चिंग्या है। चिंग्या 4 महीने पहले तक ठाणे की चेकमेट सिक्यूरिटी सर्विस में काम कर चुका था। वहां हर रोज करोड़ों रूपये देख उसने ही सबसे पहले लूट को अंजाम देने का मन बनाया। उसने ठाणे में ही रहने वाले अमोल कार्ले को अपनी जगह कंपनी में काम दिलवाया। खास बात है कि वारदात की रात अमोल कार्ले कंपनी में ड्यूटी पर मौजूद था। लूट को अंजाम देने का जिम्मा उमेश का था। नासिक में रहने वाले उमेश ने ही अपने दोस्तों को लूट की साजिश में शामिल किया। बंदूक और चापर का इंतजाम भी उसी ने करवाया।
सीसीटीवी का डीवीआर साथ में ले गए
जांच में पता चला है कि नासिक के रहने वाले आरोपी 27 जून की रात में ट्रक में बैठकर ठाणे आए। यहां ठाणे में रहने वाले उनके साथियों ने एक जायलो और 2 इको गाड़ी तैयार रखी थीं। उनमे बैठकर सभी एटीएम कलेक्शन सेंटर पहुंचे। तय योजना के मुताबिक वारदात को अंजाम दिया गया। आरोपी 9 करोड़ 16 लाख, सीसीटीवी का डीवीआर लेकर सीधे नासिक की तरफ निकल गए। वहां एक खेत में जाकर रुपयों का आपस में बंटवारा किया गया।
भूमिका के मुताबिक राशि का बंटवारा
ठाणे पुलिस आयुक्त परामबीर सिंह के मुताबिक किसी को 15 लाख मिले, किसी को 20 तो कुछ को एक करोड़
भी मिले। लूट की वारदात में जिसकी जैसी भूमिका थी उसी के मुताबिक रुपया उसके हिस्से में आया।
ठाणे पहुंचने से पहले बंद किए मोबाइल फोन
जांच टीम से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक आरोपियों को पता था कि पुलिस मोबाइल फोन के जरिए उन तक पहुंच सकती है इसलिए उन्होंने ठाणे में घुसने के पहले ही अपने मोबाइल फोन बंद कर दिए थे। मौका ए वारदात पर लगे सीसीटीवी से उनकी पहचान न उजागर हो जाए इसलिए सीसीटीवी का डीवीआर भी वे अपने साथ ले गए। लेकिन उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर गया।
पुलिस को फोन ने पहुंचा दिया ड्राईवर तक
पहला सुराग मोबाइल फोन से मिला। बताया जाता है कि पुलिस ने उस रात को कई किलोमीटर तक के मोबाइल टावरों से उस दौरान किए गए फोन का डाटा निकाला जो करोड़ों में था। सॉफ्टवेयर के जरिए उसे खंगालते हुए उसे लाखों, फिर हजारों और फिर सैकड़ों तक आंकड़ा पहुंचा। इसके बाद पुलिस को ठाणे में रहने वाले आरोपी नितेश आव्हाड तक पहुंचने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। कहते हैं न कि अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो कोई न कोई सुराग छोड़ ही जाता है। आरोपियों ने नासिक से आने के बाद ठाणे में घुसने के पहले जायलो के ड्राईवर नितेश को फोन किया था। नितेश के पकड़े जाने के बाद पूरी साजिश का पर्दाफाश हो गया। नितेश को अपनी जायलो से लुटेरों को लाने और ले जाने के बदले 15 लाख रूपये मिले थे।
कंपनी के कर्मचारी के शामिल होने का था पहले से शक
जांच टीम के मुखिया ठाणे क्राइम के डीसीपी पंकज धनेरे ने बताया कि जिस तरह से सोमवार की रात वारदात को अंजाम दिया गया था, हमें तभी शक हो गया था कि इसमें कंपनी का ही कोई कर्मचारी जरूर शामिल होगा। इसलिए टेक्निकल और ह्यूमन इंटेलिजेंस के जरिये हमने रिकॉर्ड समय में गुत्थी सुलझाई। इसके लिए ठाणे क्राइम ब्रांच और शहर पुलिस की 8 टीमों में शामिल 70 से भी ज्यादा जवानों और अफसरों ने रात-दिन मेहनत की।
डीवीआर जलाया, खेत में रुपये गाड़े
पुलिस के मुताबिक लुटेरों ने लूट को अंजाम देने के बाद नासिक के पास वाड़ीवडे गांव में लुटेरों में से एक वैभव के खेत में पैसे का बंटवारा किया था। वहीं पर उन्होंने सीसीटीवी का डीवीआर जला दिया और बंटवारे के बाद एक करोड़ 7 लाख रूपये खेत में ही गाड़ दिए थे। पुलिस ने रूपये तो खोदकर निकाल लिए लेकिन वैभव सहित 15 लुटेरे अब भी फरार हैं।
इस बीच सुरक्षा में लापरवाही की वजह से पुलिस के निशाने पर रही चेकमेट सिक्यूरिटी कंपनी के एमडी विक्रम माहुरकर ने लापरवाही के आरोप से इंकार किया। लेकिन इतना जरूर माना कि अगर सुरक्षा में कुछ खामियां हैं तो उसे दूर करेंगे।
करोड़ों रुपये रोज देखने वाले ने रची साजिश
ठाणे के पुलिस आयुक्त परमबीर के मुताबिक लूट की इस वारदात का मास्टर माइंड ठाणे का ही रहने वाला आकाश चंद्रकांत चव्हाण उर्फ चिंग्या है। चिंग्या 4 महीने पहले तक ठाणे की चेकमेट सिक्यूरिटी सर्विस में काम कर चुका था। वहां हर रोज करोड़ों रूपये देख उसने ही सबसे पहले लूट को अंजाम देने का मन बनाया। उसने ठाणे में ही रहने वाले अमोल कार्ले को अपनी जगह कंपनी में काम दिलवाया। खास बात है कि वारदात की रात अमोल कार्ले कंपनी में ड्यूटी पर मौजूद था। लूट को अंजाम देने का जिम्मा उमेश का था। नासिक में रहने वाले उमेश ने ही अपने दोस्तों को लूट की साजिश में शामिल किया। बंदूक और चापर का इंतजाम भी उसी ने करवाया।
सीसीटीवी का डीवीआर साथ में ले गए
जांच में पता चला है कि नासिक के रहने वाले आरोपी 27 जून की रात में ट्रक में बैठकर ठाणे आए। यहां ठाणे में रहने वाले उनके साथियों ने एक जायलो और 2 इको गाड़ी तैयार रखी थीं। उनमे बैठकर सभी एटीएम कलेक्शन सेंटर पहुंचे। तय योजना के मुताबिक वारदात को अंजाम दिया गया। आरोपी 9 करोड़ 16 लाख, सीसीटीवी का डीवीआर लेकर सीधे नासिक की तरफ निकल गए। वहां एक खेत में जाकर रुपयों का आपस में बंटवारा किया गया।
भूमिका के मुताबिक राशि का बंटवारा
ठाणे पुलिस आयुक्त परामबीर सिंह के मुताबिक किसी को 15 लाख मिले, किसी को 20 तो कुछ को एक करोड़
भी मिले। लूट की वारदात में जिसकी जैसी भूमिका थी उसी के मुताबिक रुपया उसके हिस्से में आया।
ठाणे पहुंचने से पहले बंद किए मोबाइल फोन
जांच टीम से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक आरोपियों को पता था कि पुलिस मोबाइल फोन के जरिए उन तक पहुंच सकती है इसलिए उन्होंने ठाणे में घुसने के पहले ही अपने मोबाइल फोन बंद कर दिए थे। मौका ए वारदात पर लगे सीसीटीवी से उनकी पहचान न उजागर हो जाए इसलिए सीसीटीवी का डीवीआर भी वे अपने साथ ले गए। लेकिन उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर गया।
पुलिस को फोन ने पहुंचा दिया ड्राईवर तक
पहला सुराग मोबाइल फोन से मिला। बताया जाता है कि पुलिस ने उस रात को कई किलोमीटर तक के मोबाइल टावरों से उस दौरान किए गए फोन का डाटा निकाला जो करोड़ों में था। सॉफ्टवेयर के जरिए उसे खंगालते हुए उसे लाखों, फिर हजारों और फिर सैकड़ों तक आंकड़ा पहुंचा। इसके बाद पुलिस को ठाणे में रहने वाले आरोपी नितेश आव्हाड तक पहुंचने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। कहते हैं न कि अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो कोई न कोई सुराग छोड़ ही जाता है। आरोपियों ने नासिक से आने के बाद ठाणे में घुसने के पहले जायलो के ड्राईवर नितेश को फोन किया था। नितेश के पकड़े जाने के बाद पूरी साजिश का पर्दाफाश हो गया। नितेश को अपनी जायलो से लुटेरों को लाने और ले जाने के बदले 15 लाख रूपये मिले थे।
कंपनी के कर्मचारी के शामिल होने का था पहले से शक
जांच टीम के मुखिया ठाणे क्राइम के डीसीपी पंकज धनेरे ने बताया कि जिस तरह से सोमवार की रात वारदात को अंजाम दिया गया था, हमें तभी शक हो गया था कि इसमें कंपनी का ही कोई कर्मचारी जरूर शामिल होगा। इसलिए टेक्निकल और ह्यूमन इंटेलिजेंस के जरिये हमने रिकॉर्ड समय में गुत्थी सुलझाई। इसके लिए ठाणे क्राइम ब्रांच और शहर पुलिस की 8 टीमों में शामिल 70 से भी ज्यादा जवानों और अफसरों ने रात-दिन मेहनत की।
डीवीआर जलाया, खेत में रुपये गाड़े
पुलिस के मुताबिक लुटेरों ने लूट को अंजाम देने के बाद नासिक के पास वाड़ीवडे गांव में लुटेरों में से एक वैभव के खेत में पैसे का बंटवारा किया था। वहीं पर उन्होंने सीसीटीवी का डीवीआर जला दिया और बंटवारे के बाद एक करोड़ 7 लाख रूपये खेत में ही गाड़ दिए थे। पुलिस ने रूपये तो खोदकर निकाल लिए लेकिन वैभव सहित 15 लुटेरे अब भी फरार हैं।
इस बीच सुरक्षा में लापरवाही की वजह से पुलिस के निशाने पर रही चेकमेट सिक्यूरिटी कंपनी के एमडी विक्रम माहुरकर ने लापरवाही के आरोप से इंकार किया। लेकिन इतना जरूर माना कि अगर सुरक्षा में कुछ खामियां हैं तो उसे दूर करेंगे।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
मुंबई, ठाणे, 9 करोड़ 12 लाख रुपये की लूट, ठाणे पुलिस, साजिश का खुलासा, Mumbai, Thane, 9 Carore 12 Lakh Loot, Thane Police, Crime, ATM Collection Centre Loot, Maharashtra