दीवाली से पहले गारमेंट और टेक्सटाइल इंडस्ट्री में रौनक, बाजार में उतरे लोग, दिख रहे अच्छे संकेत

विशेषज्ञों की मानें, तो टेक्सटाइल क्षेत्र में हालात अगर इसी तरह बेहतर होते हैं तो इसका अर्थव्यवस्था पर अच्छा असर पड़ेगा. खेती के बाद वस्त्र उद्योग रोज़गार का दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है. जीडीपी में 2.3 फीसदी योगदान वस्त्र उद्योग का है. इससे करोड़ों लोगों को रोज़गार मिलता है. बाज़ार में एक बार फिर से जहां मांग बढ़ती नज़र आ रही है.

दीवाली से पहले गारमेंट और टेक्सटाइल इंडस्ट्री में रौनक, बाजार में उतरे लोग, दिख रहे अच्छे संकेत

दीवाली से पहले कपड़ा उद्योग की स्थिति बेहतर होती दिख रही है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

मुंबई:

पहले जीएसटी (Goods and Services Tax) और बाद में लॉकडाउन की वजह से जहां कपड़ा बाज़ार (Garment Industry) में व्यापार मंदा चल रहा था तो वहीं अब दीवाली से पहले बाज़ार में कुछ सुधार देखने मिल रहा है. अब भी बाज़ार की हालत पूरी तरह नहीं सुधरी है लेकिन पहले से हालात बेहतर होते दिख रहे हैं. दीवाली से पहले कपड़ा बाजर खुलने लगे हैं और पहले के मुकाबले खरीदारी में भी बढ़ोतरी हो देखने को मिल रही है. 

लॉकडाउन के समय काम नहीं होने के वजह से मुम्बई के कालबादेवी में मजदूरी करने वाले मोहम्मद मोमीन को अपने मालिक से करीब 25 हज़ार रुपए उधार लेने पड़े, लेकिन दीवाली से पहले अब बाज़ार में एक बार फिर से रौनक बढ़ती नज़र आ रही है.. मजदूरों को भी दोबारा काम मिल रहा है जिसके वजह से वो अपना उधार चुका पा रहे हैं. मोहम्मद मोमीन ने बताया कि 'सीजन के हिसाब से पैसे मिल रहे हैं. दीवाली में एक डेढ़ महीने से काम है और जो काम मिला, उससे खर्च निकल गया. सेठ के पास हज़ार-डेढ़ हजार उधार हर महीने कटवाता हूं,'

नोटबंदी, जीएसटी और इस साल लॉकडाउन का कपड़ा बाज़ार पर बुरा असर पड़ा है. धीरे-धीरे हालात सुधर रहे हैं, लेकिन अब भी हालात में और सुधार होना बाकी है. हां, अनलॉक का असर बाजार पर पड़ता नज़र आ रहा है.

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भारत मर्चेंट चैम्बर्स के ट्रस्टी राजीव सिंघल ने कहा, 'सरकार ने जबसे महिलाओं को ट्रेन में अनुमति दी, तबसे महिलाएं बाहर निकलने लगीं, उसके वजह से खरीदारी बढ़ने लगी. पुरुषों की खरीदारी 20 फीसदी होती है, महिलाओं की 80 फीसदी. उनके एक्टिव होने की वजह से कपड़ा बाज़ार में अच्छी खरीदारी हुई है.'

विशेषज्ञों की मानें, तो टेक्सटाइल क्षेत्र में हालात अगर इसी तरह बेहतर होते हैं तो इसका अर्थव्यवस्था पर अच्छा असर पड़ेगा. खेती के बाद वस्त्र उद्योग रोज़गार का दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है. जीडीपी में 2.3 फीसदी योगदान वस्त्र उद्योग का है. इससे करोड़ों लोगों को रोज़गार मिलता है. बाज़ार में एक बार फिर से जहां मांग बढ़ती नज़र आ रही है तो वहीं पावर लूम और कपड़ों के प्रोसेस हाउस से जुड़े व्यवसायियों का कहना है कि अब भी इस उद्योग को उभरने में समय लगेगा.. लेकिन अगर इसी तरह छूट मिलती रही, तो चीज़ें बदल सकती हैं. 

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भारत मर्चेंट चेम्बर के उपाध्यक्ष नरेंद्र पोद्दार ने कहा, 'मार्च में जो लॉकडाउन हुआ, उसमें से तीन महीने चीज़ें पूरी तरह बंद रहीं. अब हालात खुले हैं लेकिन अब भी पटरी पर चीज़ें नहीं आ पाई हैं. प्रोसेसिंग यूनिट में अब भी लॉस है.'

वहीं, कबीरा फैशन के मैनेजिंग डायरेक्टर विनोद कुमार गुप्ता का कहना है, 'अब जो थोड़ा बहुत मूवमेंट दिख रहा है, वो इसलिए है क्योंकि लोग बहुत समय बाद बाहर निकल रहे हैं. आगे शादियों और त्योहार की सीजन है जिसकी वजह से लोग धीरे-धीरे बाहर निकल रहे हैं, बाजार में पिक अप आया है. अगर इसी तरह चीज़ें बनी रहे तो हो सकता है टेक्सटाइल इंडस्ट्री की हालत सुधर जाए.'

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