उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे खेमे में शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न को लेकर चल रही बहस के बीच चुनाव आयोग ने शिवसेना नाम और उसके चुनाव चिह्न 'तीर-कमान' को जब्त कर लिया. इसके बाद शिवसेना के उद्धव ठाकरे खेमे ने मुंबई के अंधेरी पूर्व में आगामी उपचुनाव के लिए तीन नामों और चुनाव चिह्न की लिस्ट दी है.
उद्धव खेमे की पार्टी के नाम के लिए 'शिवसेना बालासाहेब ठाकरे' पहली पसंद है, जबकि 'शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे' दूसरी पसंद है. वही तीसरा नाम 'शिवसेना बालासाहेब प्रबोधंकर ठाकरे' दिया गया है. चुनाव चिह्न के लिए पहली पसंद 'त्रिशुल' और 'उगते सूरज' को दूसरी पसंद रखा है. चिह्न के लिए तीसरी पसंद 'मशाल' दी गई है.
यह जानकारी शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने एनडीटीवी से बात करते हुए दी है.
गौर करने वाली बात यह है कि इन नामों में उद्धव खेमे की ओर से बाला साहेब ठाकरे के नाम का इस्तेमाल किया गया है.
शिवसेना को साल 1989 में स्थाई चुनावी चिह्न 'धनुष और बाण' मिला था, इससे पहले 'तलवार और ढाल', 'नारियल का पेड़ट, रेलवे इंजन, कप और प्लेट जैसे कई चुनावी चिह्नों पर चुनाव लड़ते रहे.
पार्टी के दोनों गुटों द्वारा नाम और चुनाव चिह्न पर दावा किए जाने की पृष्ठभूमि में एक अंतरिम आदेश जारी करके निर्वाचन आयोग ने दोनों से कहा है कि वे सोमवार तक अपनी-अपनी पार्टी के लिए तीन-तीन नये नाम और चुनाव चिह्न सुझाएं. आयोग दोनों गुटों द्वारा सुझाए गए नामों और चुनाव चिह्नों में से उन्हें किसी एक का उपयोग करने की अनुमति देगा.
शिवसेना और 'तीर-कमान' पर चुनाव आयोग के फैसले को ठाकरे गुट ने ‘अन्याय' बताया
अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव नजदीक आने की स्थिति में शिंदे गुट द्वारा अनुरोध किए जाने पर आयोग ने अंतरिम आदेश जारी किया है.
एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे सरकार से बगावत कर दी थी. इसके बाद शिंदे ने भाजपा के साथ हाथ मिलाकर महाराष्ट्र में नई सरकार बना ली. नई सरकार में एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री, जबकि भाजपा के देवेंद्र फडणवीस को उप-मुख्यमंत्री बनाया गया. इसके बाद से जहां एक ओर शिंदे खेमा शिवसेना पर दावा कर रहा है, तो वहीं दूसरी ओर उद्धव ठाकरे खेमा भी इस पर दावा ठोक रहा है.
चुनाव आयोग ने टीम ठाकरे और टीम शिंदे के बीच तनातनी को देखते हुए शिवसेना का चुनाव चिह्न जब्त किया
चुनाव आयोग के अंतरिम आदेश के मुताबिक, दोनों खेमों को अब नए नामों का चयन करना होगा. उन्हें अलग-अलग चुनाव चिह्न आवंटित किए जाएंगे.
इससे पहले आयोग ने दोनों गुटों से कहा था कि वे अपने-अपने दावों के समर्थन में आठ अगस्त तक सभी दस्तावेज और विधायी तथा संगठन के समर्थन का साक्ष्य जमा कराएं. हालांकि, बाद में ठाकरे गुट के अनुरोध पर इस अवधि को बढ़ाकर सात अक्टूबर कर दिया गया था.
शिवसेना में जून में दो फाड़ होने के बाद दोनों गुटों ने स्वयं के ‘असली शिवसेना' होने का दावा करते हुए निर्वाचन आयोग में पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न उन्हें आवंटित करने का अनुरोध किया था.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं