नई दिल्ली:
किसी विशेष दुकान से पुस्तक, पोशाक और अन्य स्टेशनरी सामग्री खरीदने के लिए छात्रों को शारीरिक दंड देने वाले शिक्षकों को तीन साल की सजा हो सकती है। स्कूलों में शैक्षणिक कदाचार रोकने से संबंधित विधेयक के मसौदे में यह बात कही गई है।
स्कूलों में शैक्षणिक कदाचार रोकने से सम्बंधित विधेयक के मसौदे में यह स्पष्ट किया गया है कि कोई भी स्कूल प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कैपिटेशन फीस की मांग करने या किसी कक्षा में दाखिले के लिए चंदा नहीं मांग सकता है।
मसौदा विधेयक एक नवंबर को होने वाले केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की बैठक में पेश किया जाएगा। मसौदे में (एचआईवी) एड्स या किसी अन्य गंभीर बीमारी की खबर होने पर किसी छात्र को दाखिला देने से इनकार करने की सख्त मनाही की गई है।
शिक्षकों से स्कूलों में शारीरिक दंड देने या छात्रों को परीक्षा में बैठने से रोकने जैसे कार्यों में शामिल नहीं होने को कहा गया है।
स्कूलों में शैक्षणिक कदाचार रोकने से सम्बंधित विधेयक के मसौदे में यह स्पष्ट किया गया है कि कोई भी स्कूल प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कैपिटेशन फीस की मांग करने या किसी कक्षा में दाखिले के लिए चंदा नहीं मांग सकता है।
मसौदा विधेयक एक नवंबर को होने वाले केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की बैठक में पेश किया जाएगा। मसौदे में (एचआईवी) एड्स या किसी अन्य गंभीर बीमारी की खबर होने पर किसी छात्र को दाखिला देने से इनकार करने की सख्त मनाही की गई है।
शिक्षकों से स्कूलों में शारीरिक दंड देने या छात्रों को परीक्षा में बैठने से रोकने जैसे कार्यों में शामिल नहीं होने को कहा गया है।
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