नई दिल्ली:
भारतीय सेना को टाट्रा ट्रक की आपूर्ति से जुड़े मामले की जांच के दौरान केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को दिल्ली और नोएडा में कम से कम तीन ठिकानों पर छापे मारे हैं, जो दो पूर्व सेनाधिकारियों और एक वेक्ट्रा अधिकारी के आवास हैं।
लंदन स्थित कंपनी वेक्ट्रा के स्वामित्व वाली चेक गणराज्य की कंपनी टाट्रा रक्षा सौदों के लिए भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक उपक्रमों में से एक बेंगलुरू स्थित भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) को पुर्जों की आपूर्ति करती है। इसके बाद बीईएमएल में ट्रकों को असेम्बल कर सेना को बेचा जाता है।
सेनाप्रमुख जनरल वीके सिंह ने पिछले माह खुलासा किया था कि 'घटिया' ट्रकों को मंजूरी देने के लिए उन्हें रिश्वत की पेशकश की गई थी, और इसी कारण सेना के टाट्रा से किए गए सौदों की जांच शुरू की गई। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1986 से सेना ने टाट्रा से 7,000 ट्रक खरीदे हैं। सेनाप्रमुख ने कहा था कि लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) तेजिंदर सिंह ने घटिया टाट्रा ट्रकों की आपूर्ति की मंजूरी देने के लिए उन्हें 14 करोड़ रुपये की पेशकश की थी।
इससे पहले सीबीआई ने मंगलवार को बीईएमएल के पूर्व निदेशक वी. मोहन, कम्पनी के वर्तमान प्रमुख वीआरएस नटराजन और ब्रिटेन स्थित वेक्ट्रा समूह के प्रमुख रविंद्र ऋषि से पूछताछ की थी। इनसे चार देशों में कथित रूप से ऋषि से जुड़ी कम्पनियों के बारे में सवाल-जवाब किए गए थे। उल्लेखनीय है कि सीबीआई चेक गणराज्य, स्लोवाकिया, ब्रिटेन एवं लिचेंस्टीन में कम से कम पांच कम्पनियों द्वारा निभाई गई कथित भूमिका की जांच कर रही है।
सूत्रों ने बताया था कि मोहन से लगातार दूसरे दिन पूछताछ की गई, जबकि कम्पनियों की हिस्सेदारी का स्वरूप जानने के लिए ऋषि से आठवीं बार पूछताछ की गई। इन कम्पनियों ने स्लोवाकिया स्थित टाट्रा सिपोक्स एवं चेक गणराज्य स्थित टाट्रा एएस के साथ ठेकों पर हस्ताक्षर किए हैं और आशंका है कि इन कम्पनियों का मालिकाना हक ऋषि के पास है। सीबीआई ने पिछले माह 30 तारीख को बेंगलुरू एवं नई दिल्ली स्थित टाट्रा कार्यालयों पर छापे भी मारे थे। सूत्रों के मुताबिक ऋषि अपने द्वारा संचालित कुछ कम्पनियों से टाट्रा ट्रकों के अलग-अलग हिस्सों को खरीदा करते थे और उसके बाद उन हिस्सों को बीईएमएल को आपूर्ति किया करते थे।
उधर, ऋषि ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उनका कहना था कि ट्रकों को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम बीईएमएल के जरिये बेचा गया। उन्होंने यह भी कहा कि सेनाप्रमुख द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं।
लंदन स्थित कंपनी वेक्ट्रा के स्वामित्व वाली चेक गणराज्य की कंपनी टाट्रा रक्षा सौदों के लिए भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक उपक्रमों में से एक बेंगलुरू स्थित भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) को पुर्जों की आपूर्ति करती है। इसके बाद बीईएमएल में ट्रकों को असेम्बल कर सेना को बेचा जाता है।
सेनाप्रमुख जनरल वीके सिंह ने पिछले माह खुलासा किया था कि 'घटिया' ट्रकों को मंजूरी देने के लिए उन्हें रिश्वत की पेशकश की गई थी, और इसी कारण सेना के टाट्रा से किए गए सौदों की जांच शुरू की गई। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1986 से सेना ने टाट्रा से 7,000 ट्रक खरीदे हैं। सेनाप्रमुख ने कहा था कि लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) तेजिंदर सिंह ने घटिया टाट्रा ट्रकों की आपूर्ति की मंजूरी देने के लिए उन्हें 14 करोड़ रुपये की पेशकश की थी।
इससे पहले सीबीआई ने मंगलवार को बीईएमएल के पूर्व निदेशक वी. मोहन, कम्पनी के वर्तमान प्रमुख वीआरएस नटराजन और ब्रिटेन स्थित वेक्ट्रा समूह के प्रमुख रविंद्र ऋषि से पूछताछ की थी। इनसे चार देशों में कथित रूप से ऋषि से जुड़ी कम्पनियों के बारे में सवाल-जवाब किए गए थे। उल्लेखनीय है कि सीबीआई चेक गणराज्य, स्लोवाकिया, ब्रिटेन एवं लिचेंस्टीन में कम से कम पांच कम्पनियों द्वारा निभाई गई कथित भूमिका की जांच कर रही है।
सूत्रों ने बताया था कि मोहन से लगातार दूसरे दिन पूछताछ की गई, जबकि कम्पनियों की हिस्सेदारी का स्वरूप जानने के लिए ऋषि से आठवीं बार पूछताछ की गई। इन कम्पनियों ने स्लोवाकिया स्थित टाट्रा सिपोक्स एवं चेक गणराज्य स्थित टाट्रा एएस के साथ ठेकों पर हस्ताक्षर किए हैं और आशंका है कि इन कम्पनियों का मालिकाना हक ऋषि के पास है। सीबीआई ने पिछले माह 30 तारीख को बेंगलुरू एवं नई दिल्ली स्थित टाट्रा कार्यालयों पर छापे भी मारे थे। सूत्रों के मुताबिक ऋषि अपने द्वारा संचालित कुछ कम्पनियों से टाट्रा ट्रकों के अलग-अलग हिस्सों को खरीदा करते थे और उसके बाद उन हिस्सों को बीईएमएल को आपूर्ति किया करते थे।
उधर, ऋषि ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उनका कहना था कि ट्रकों को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम बीईएमएल के जरिये बेचा गया। उन्होंने यह भी कहा कि सेनाप्रमुख द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं।
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