
- गोलगप्पे को भारतीय देसी स्ट्रीट फूड का किंग कहें तो शायद गलत नहीं होगा. इसके स्वाद के दीवाने हर जगह हैं
- गोलगप्पा दो शब्दों से मिलकर बना है- गोल यानी आकार में गोल. गप्पा शब्द "गप्प" या "गपकने" से आया है
- इतिहासकार पुष्पेश पंत का मानना है कि गोलगप्पे की उत्पत्ति सौ-सवा सौ साल पहले यूपी-बिहार के आसपास हुई होगी
गोलगप्पा... नाम सुनते ही मुंह में पानी आ गया न! इसे भारतीय देसी स्ट्रीट फूड का किंग कहें तो शायद गलत नहीं होगा. आदमी हो या औरत, बच्चे हों या बुजुर्ग... बात जब गोलगप्पे की आती है तो सब्रदार इंसान भी बेसब्र हो जाता है. फिर मन करता है, एक और, बस एक और... इसी एक और.. एक और गोलगप्पे के चक्कर में गुजरात के वडोदरा में एक महिला बीच सड़क धरने पर बैठ गई. फूट-फूटकर रोने लगी कि पानीपूरी वाले ने उसे 2 गोलगप्पे कम दिए. इसका वीडियो खूब वायरल है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि गोलगप्पा आया कहां से? किसने इसका आविष्कार किया? कैसे तरह-तरह की वैरायटी से होते हुए इसका स्वाद सबकी जुबान पर चढ़ गया. आइए जानते हैं इस चटपटी चटोरी स्टोरी में.
सबसे पहले बात उस घटना की, जिसकी वजह से गोलगप्पे इस वक्त चर्चा में हैं. अगर आपने अभी तक ये वीडियो नहीं देखा है तो पहले इसे देखिए-
2 गोलगप्पे दिलाओ या ठेला हटवाओ
दरअसल बीच सड़क बैठकर फूट-फूटकर रो रही ये महिला गुजरात के वडोदरा की है. महिला पानीपूरी के एक ठेले पर 2 गोलगप्पे कम मिलने से नाराज थी. 20 रुपये में 6 गोलगप्पे मिलने थे, लेकिन महिला का आरोप है कि ठेले वाले ने उसे 4 गोलगप्पे ही दिए. बस महिला ने सूरसागर झील के पास बीच सड़क धरना दे दिया. फूट-फूटकर रोने लगी. उसकी इस हरकत से ट्रैफिक जाम होने लगा. पुलिसवालों ने समझाया तो वह रोते हुए कहने लगी- ये पानीपुरी वाला सबको 6 पानीपूरी देता है, मुझे 2 कम दिए हैं. या तो 2 पानी पूरी और दिलवाओ या इसका ठेला हटवाओ.
खैर, ये घटना तो महज एक मिसाल है कि महिलाएं गोलगप्पे को लेकर इतनी क्रेजी क्यों रहती हैं. वैसे तो ये एक स्ट्रीट फूड है लेकिन सड़क किनारे ठेलों से लेकर महंगे से महंगे रेस्टोरेंट के मेन्यू में भी आपको गोलगप्पे नजर आ जाएंगे. चाहे शादी के फंक्शन में चाट की स्टॉल हो या गली के कोने पर खड़ा ठेला, पानीपूरी के चाहने वाले आपको हर जगह मिल जाएंगे. देश ही नहीं, विदेशों में भी ये काफी मशहूर है.

गोलगप्पा, पानीपूरी का मतलब क्या?
गोलगप्पा दो शब्दों से मिलकर बना है- गोल यानी आकार में गोल. गप्पा शब्द "गप्प" या "गपकने" से आया है, जिसका अर्थ है एक बार में निगल लेना या मुंह में डालना. इस तरह गोलगप्पा का शाब्दिक अर्थ हुआ, गोल आकार की ऐसी चीज़ जिसे एक बार में मुंह में डालकर खा लिया जाए. इसी तरह पानीपूरी में भी दो शब्द हैं- पानी और पूरी. पानी यानी वह खट्टा-तीखा, मसालेदार तरल पदार्थ जिसमें इसके स्वाद का असली जादू छिपा होता है. और पूरी यानी छोटी, गोल, कुरकुरी तली हुई पूरी जैसी चीज, जिसमें मसालेदार पानी भरकर खाया जाता है.
नाम अनेक, स्वाद एक
- वैसे तो गोलगप्पा और पानीपूरी नाम ज्यादा प्रचलित हैं, लेकिन इसके कई और नाम भी हैं.
- कई राज्यों में इसे अलग-अलग नाम और वैरायटी के साथ बनाया और चाव से खाया जाता है.
- यूपी, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, एमपी, हिमाचल वगैरा में गोलगप्पे, पानीपूरी, पानी के बताशे, पानी की टिक्की नाम ज्यादा प्रचलित हैं.
- बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल आदि में पुचका नाम खूब फेमस है.
- कई जगहों पर इसे पकोडी, पताशी, फुल्की, टिक्की भी कहा जाता है.
- गोलगप्पे के साथ अनगिनत एक्सपेरिमेंट भी हुए हैं. इसे तरह-तरह के पानी के साथ खाया जाता है.

पीएम मोदी भी इसके स्वाद के दीवाने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गोलगप्पे के स्वाद के दीवाने हैं, इसकी झलक उस समय दिखी थी, जब 2023 में जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा दिल्ली आए थे. पीएम मोदी ने राजधानी के बुद्धा जयंती पार्क में स्वाद लेकर गोलगप्पे खाने का वीडियो खुद पोस्ट किया था. वीडियो में किशिदा स्वाद लेकर गोलगप्पा खाते दिखे थे. गोलगप्पे परोसने वाले ने उनसे पूछा कि क्या और गोलगप्पे खाएंगे? इस पर पीएम मोदी कहते हैं कि हां, उन्हें एक और गोलगप्पा दीजिए. इसके बाद किशिदा मुस्कुराते हुए कहते हैं- आई विल ट्राई वन मोर...

गोलगप्पे का आविष्कार किसने किया?
अब आखिर में वो सवाल कि गोलगप्पे का आविष्कार किसने किया? वैसे तो इसका कोई पुख्ता प्रमाण उपलब्ध नहीं है. लेकिन मिथकीय कहानियों को अलग रखें तो गोलगप्पे को बनाने में दो प्रमुख चीजें लगती हैं- आलू और मिर्ची. इसके बिना इसका कोई स्वाद नहीं होता. माना जाता है कि आलू और मिर्ची भारत में करीब 400 साल पहले लाए गए थे. मशहूर फूड क्रिटिक और इतिहासकार पुष्पेश पंत का मानना है कि गोलगप्पे की उत्पत्ति करीब सौ-सवा सौ साल पहले उत्तर प्रदेश और बिहार के आसपास हुई होगी. बहरहाल, आप इस चक्कर में मत पड़िए कि इसका आविष्कार किसने किया, आप तो बस गोलगप्पे का आनंद लीजिए.
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