तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी ने अपनी जमानत याचिका पर सुनवाई होने से पहले इस्तीफा दे दिया है. जानकारी के मुताबिक बालाजी को पिछले साल 14 जून को एक मनी लॉन्डरिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था. चेन्नई की केंद्रीय अपराध शाखा पुलिस ने नौकरी के बदले नकद मामले में उन्हें उस समय गिरफ्तार किया था जब वह पिछली सरकार अन्नाद्रमुक के शासन के दौरान परिवहन मंत्री थे.
सत्तारूढ़ द्रमुक पार्टी के सूत्रों ने उनके कार्यकाल को लेकर चल रही कानूनी उलझनों का हवाला देते हुए बालाजी के इस्तीफे की पुष्टि की. उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्यपाल टीएन रवि से उन्हें मंत्रिमंडल से हटाने का आग्रह किया है." स्टालिन द्वारा समर्थन के प्रदर्शन के रूप में बालाजी को तमिलनाडु कैबिनेट में बनाए रखा गया था. हालांकि, मद्रास उच्च न्यायालय ने उस कदम पर उदासीन रुख अपनाया है. उच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा कि स्टालिन को अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करना चाहिए.
मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, "राजनीतिक मजबूरी, सार्वजनिक नैतिकता, अच्छे/स्वच्छ शासन की आवश्यकताओं और संवैधानिक नैतिकता पर भारी नहीं पड़ सकती." कई बार रिक्वेस्ट करने के बाद भी निचली अदालत ने बालाजी को जमानत नहीं दी थी. इसके बाद अब मदरास हाई कोर्ट में दूसरी बार बालाजी की जमानत की याचिका पर दो दिन में सुनवाई की जाएगी.
बालाजी को ईडी ने ड्रमैटिक अंदाज में गिरफ्तार किया था. उनसे पहले कई घंटों तक पूछताछ की गई थी और फिर उन्होंने अपनी छाती में दर्द होने की बात बताई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया था. राज्य परिवहन विभाग में नौकरी की तलाश कर रहे लोगों से 2011 और 2015 के बीच रिश्वत लेने के दावों के संबंध में आयकर विभाग ने उनके यहां छापे मारे थे.
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