
तमिलनाडु के करूर में अभिनेता से नेता बने विजय थलापति की रैली में भगदड़ को पूर्व आईपीएस किरण बेदी ने पुलिस और आयोजकों की सामूहिक विफलता करार दिया है. NDTV से बातचीत में उन्होंने कहा कि ऐसे हादसों से बचा जा सकता है और उचित कदम उठाकर रोका जा सकता है. उन्होंने करूर हादसे के लिए पुलिस के खुफिया तंत्र और आयोजकों को जिम्मेदार ठहराया.
टीवीके नेता विजय की रैली में भगदड़ से 41 लोगों की मौत और 60 से अधिक के घायल होने पर किरण बेदी ने NDTV से कहा कि जब पूर्व योजना, उचित संवाद, समुचित सतर्कता और प्रशासन व आयोजकों के बीच सहयोग की कमी होती है, तो ऐसी घटनाएं होती हैं. पुलिस का खुफिया तंत्र और आयोजक यह अनुमान लगाने में नाकाम रहे कि करूर रैली में कितने लोग शामिल होंगे. हादसे पर तमिलनाडु पुलिस का कहना था कि आयोजकों ने रैली में 10 हजार लोगों के आने की संभावना जताई थी. उसी हिसाब से 500 पुलिसकर्मी लगाए गए थे. लेकिन लगभग 27 हजार लोग पहुंच गए.
पुडुचेरी की राज्यपाल रह चुकीं बेदी ने कहा कि यह एक सामूहिक विफलता है और इसके लिए (पुलिस और आयोजक) दोनों जिम्मेदार हैं. पुलिस चाहती तो आयोजन को रद्द कर सकती थी और कह सकती थी कि हम लोगों की जान जोखिम में नहीं डाल सकते. वह आयोजकों से कह सकती थी कि भीड़ हमारी व्यवस्था से कहीं अधिक है. आयोजक रैली को ऑडियो या वीडियो फॉर्मेट में भी आयोजित कर सकते थे.
देश की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी ने कहा कि भगदड़ के जोखिम का आकलन करना पुलिस की जिम्मेदारी थी. पुलिस ऐसे निर्णय अलग-थलग होकर नहीं लेती. यह एक प्रशासनिक फैसला होता है. यह निर्णय राजनीतिक रूप से संवेदनशील था क्योंकि इसके राजनीतिक प्रभाव हो सकते थे. यह एक ऐसा प्रशासनिक फैसला था, जिसे मिल-जुलकर विचार विमर्श करके लिया जाना चाहिए था.
किरण बेदी ने आगे कहा कि इस मामले में सिर्फ पुलिस विभाग ही नहीं बल्कि प्रशासन भी शामिल है. मजिस्ट्रेटी, गृह सचिव, नेता भी हैं. कई लोग इसमें शामिल हैं. पुलिस प्रशासन का चेहरा होती है, इसलिए मुझे लगता है कि दोनों को मिलकर जागरूक निर्णय लेना चाहिए था. सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए थी.
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