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This Article is From Jul 22, 2020

मुंबई में कोरोनावायरस पॉजिटिव बच्चों में मिले PMIS रोग के लक्षण, डॉक्टरों की बढ़ी चिंता

PMIS, जापान के बाल रोग विशेषज्ञ टोमिसाकु कावासाकी द्वारा पहली बार खोजी गई थी. यह कावासाकी बीमारी का ही एक अलग प्रकार है. इसके लक्षण हैं बुखार आना, स्किन मे रैश होना, आंखें लाल होना, सुस्त रहना, पेट से जुड़ी समस्या है.

मुंबई में कोरोनावायरस पॉजिटिव बच्चों में मिले PMIS रोग के लक्षण, डॉक्टरों की बढ़ी चिंता
खबरों के अनुसार PMIS से अबतक 2 बच्चों की मौत हो गयी है
मुंबई:

महाराष्ट्र में कोरोना वायरस का क़हर बरकरार है इसके साथ ही बच्चों में कोविड से जुड़ी अलग तरह की बीमारी देखने को मिल रही है. मुंबई के वाडिया चिल्ड्रन अस्पताल में अब तक क़रीब 100 बच्चे कोरोना पॉजिटिव है. जिनमें से 18 बच्चे PMIS यानी (Paediatric Multisystem Inflammatory Syndrome) का शिकार हैं. अब तक दो बच्चों की मौत हो चुकी है. PMIS नाम की नई और दुर्लभ बीमारी कोरोना इंफ़ेक्शन के वक्त या फिर थोड़े समय के बाद बच्चों में देखी जा रही है. वाडिया चिल्ड्रन हॉस्पिटल के स्वास्थ्य निदेशक डॉ शकुंतला प्रभु के अनुसार "दो बच्चों की मौत हुई है. एक बच्चे को कैंसर के साथ कोविड था. और एक जो बच्ची आयी थी वो बहुत सीरियस स्टेज में थी. दो हफ़्ते की बीमारी से बाहर आयी थी और फिर हमारे यहां रेफ़र हुईं. बच्ची को वेंटिलेटर पर डालना पड़ा, 6 घंटे में मौत हो गयी. चार अभी रिकवर हो रहे हैं और बाक़ी डिस्चार्ज कर रहे हैं."


PMIS, जापान के बाल रोग विशेषज्ञ टोमिसाकु कावासाकी द्वारा पहली बार खोजी गई थी. यह कावासाकी बीमारी का ही एक अलग प्रकार है. इसके लक्षण हैं बुखार आना, स्किन मे रैश होना, आंखें लाल होना, सुस्त रहना, पेट से जुड़ी समस्या है. जो संक्रमण के बीच रह रहे बच्चों को घेरती है. पर कावासाकी छोटे बच्चों में देखने को मिलती है. जबकि भारत में पिम्स 10 महीने से लेकर 15 साल तक के बच्चों में देखने को मिल रहा है. और वक्त पर इलाज ना मिले तो ये स्थिति चिंताजनक हो सकती है.

 SRCC चिल्ड्रन हॉस्पिटल की डॉ. अमीश वोरा के अनुसार इस बीमारी में 100 के आसपास बुख़ार होता है.  बुख़ार के साथ पेट में दर्द, जुलाब उल्टी हो सकता है. 100 प्रतिशत रोगी को बुख़ार, 80 प्रतिशत को जुलाब उल्टी, 60 प्रतिशत बच्चों की आंखें लाल होती हैं दूसरे 50-60 प्रतिशत बच्चों की ज़ुबान लाल होती है छाले हो सकते हैं. 20-40 प्रतिशत बच्चों को बॉडी में रैश आ सकते हैं. इसपर ध्यान दें अगर दो या तीन सिम्प्टम आए तो तुरंत डॉक्टर को दिखाए. 


यह बीमारी किस तरह के बच्चे पर हावी हो रही है, इसका सही और पुख़्ता इलाज कैसे तय हो, कैसे बचा जा सके इसको लेकर मुंबई में डाक्टरों की टीम रीसर्च कर रही है. और ICMR को इसकी जानकारी दी जा रही है. मुंबई के साथ साथ चेन्नई, दिल्ली और जयपुर में भी ऐसे मामले रिपोर्ट होने की ख़बर है.

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