उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) अलग होकर गुरुवार को अपने नए राजनीतिक दल का ऐलान कर दिया. मौर्य की नई पार्टी का नाम 'राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी' (Rashtriya Shoshit Samaj Party)है. उन्होंने दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में हुए एक कार्यक्रम में अपनी नई पार्टी लॉन्च की. स्वामी प्रसाद मौर्य ने तीन दिन पहले समाजवादी पार्टी पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए पार्टी सदस्यता और MLC पद से त्यागपत्र दे दिया था. उनके इस कदम को लोकसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है.
पार्टी लॉन्च करने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, "हम बीजेपी को केंद्र से हटाने के लिए INDIA गठबंधन को मजबूत करेंगे. हम उनके नेताओं से बात करेंगे. बीजेपी की हार सुनिश्चित करने के लिए जरूरत पड़ने पर मैं सभी बलिदान देने के लिए तैयार हूं."
Former Samajwadi Party leader Swami Prasad Maurya launches 'Rashtriya Shoshit Samaj Party' in Delhi
— ANI (@ANI) February 22, 2024
"We will strengthen the INDI alliance to remove BJP. We will talk to their leaders. To make sure that BJP is defeated, I am ready to make all sacrifices if needed." pic.twitter.com/3C9jkYnUXh
प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वामी प्रसाद मौर्य ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, "देश बहुत संकट से जूझ रहा है. भारत का संविधान खतरे में है. लोकतंत्र की हत्या हो रही है. एक विशेष जाति के लोगों को पदोन्नति देकर सरकारी नौकरियां दी जा रही हैं." किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए मौर्य ने कहा,"केंद्र सरकार किसानों पर लाठीचार्ज कर रही है, उनकी गलती क्या है? वे सिर्फ MSP की गारंटी मांग रहे हैं."
स्वामी प्रसाद मौर्य विवादित बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं. उन्होंने अपनी टिप्पणियों को लेकर समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं के रवैये से नाराज होकर 13 फरवरी को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया था. मौर्य ने पार्टी प्रमुख को लिखे पत्र में कहा था कि उन्होंने पार्टी का जनाधार बढ़ाने का काम ‘‘अपने तौर-तरीकों'' से जारी रखा और बीजेपी के ‘मकड़जाल' में फंसे आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के ‘स्वाभिमान' को जगाने की कोशिश की.
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं नहीं समझ पाया, मैं एक राष्ट्रीय महासचिव हूं जिसका कोई भी बयान निजी हो जाता है और पार्टी के कुछ राष्ट्रीय महासचिव और नेता ऐसे भी हैं जिनका हर बयान पार्टी का हो जाता है. यह समझ के परे है.''
स्वामी प्रसाद मौर्य श्री रामचरितमानस और सनातन धर्म के साथ-साथ अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भी कई विवादास्पद बयान दे चुके हैं, जिसको लेकर व्यापक स्तर पर तल्ख प्रतिक्रिया हुई थी. खुद उनकी पार्टी में ही उनका विरोध हुआ था. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान की जरूरत पर सवाल उठाने पर विधानसभा में सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय ने हाल ही में उन्हें ‘‘विक्षिप्त व्यक्ति'' कहा था.
मौर्य ने पत्र में कहा कि उन्होंने पार्टी को ठोस जन आधार देने के लिए पिछले साल जनवरी-फरवरी में प्रदेशव्यापी भ्रमण कार्यक्रम के तहत ‘‘रथ यात्रा'' निकालने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन पार्टी अध्यक्ष के आश्वासन के बाद भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आया.
मौर्य ने सरकार पर पिछड़ों की उपेक्षा का आरोप लगाया था. हालांकि, उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य बीजेपी से अब भी सांसद हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य मायावती के नेतृत्व वाली सरकारों में भी मंत्री रहे थे.
पडरौना से विधायक रह चुके मौर्य ने 2022 के विधानसभा चुनाव में फाजिलनगर से चुनाव लड़ा था, लेकिन बीजेपी के सुरेंद्र कुमार कुशवाहा से हार गए थे. इसके बाद सपा ने उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया और संगठन में राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी थी.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं