रामचरित मानस पर आपत्तिजनक टिप्पणी के चलते मुकदमा झेल रहे पूर्व सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. यूपी सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए वक्त मांगा है. इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी है. स्वामी मौर्य ने प्रतापगढ़ में दर्ज FIR को रद्द करने की मांग के साथ SC का रुख किया है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. साथ ही यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
दरअसल, स्वामी प्रसाद मौर्य ने उस समय सियासी हलचल मचा दी जब उन्होंने रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान दिया था. उन्होंने रामचरितमानस को दलित और महिला विरोधी बताते हुए उस पर बैन लगाने की मांग की थी. इस बयान का काफी विरोध हुआ था.
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वामी प्रसाद मौर्य की रामचरितमानस पर उनकी कथित विवादास्पद टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ दर्ज मामले में आपराधिक कार्रवाई को रद्द करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट का कहना था कि स्वस्थ आलोचना का मतलब यह नहीं है कि ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाए जो लोगों की भावनाओं को आहत करें. कोर्ट में कहा गया कि मौर्य ने कथित तौर पर रामचरितमानस की दो चौपाइयों को दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्ग के लोगों के खिलाफ बताते हुए आपत्तिजनक बयान दिया था.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टीअलग होकर गुरुवार को अपने नए राजनीतिक दल का ऐलान कर दिया. मौर्य की नई पार्टी का नाम 'राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी' (Rashtriya Shoshit Samaj Party) है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने तीन दिन पहले समाजवादी पार्टी पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए पार्टी सदस्यता और MLC पद से त्यागपत्र दे दिया था. उनके इस कदम को लोकसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है.
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