विदेश मंत्री सुषमा स्वराज.
नई दिल्ली:
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कई मुद्दों पर संसद में बयान दिया. उन्होंने डोकलाम के मुद्दे पर भी संसद में बयान दिया. उन्होंने कहा कि हमने अपने सभी पड़ोसियों का साथ दिया और जो चीन हमें श्रीलंका में घेर रहा था, उसके खतरे को हमने कम किया. इस दौरान चीन-भारत में डोकलाम पर तनातनी को लेकर सुषमा स्वराज ने कहा कि हम हर संभव संबंधों को बेहतर कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हर समस्या का समाधान युद्ध से नहीं निकल सकता, बल्कि राजनयिक कोशिशों से निकलता है. सुषमा स्वराज ने कहा कि आज सामरिक क्षमता बढ़ाने से ज्यादा अहम है आर्थिक क्षमता को बढ़ाना.
सुषमा स्वराज ने चीन पर भारत के रुख पर अपना आधिकारिक नोट पढ़ते हुए कहा कि डोकलम मुद्दे को लेकर भारत-चीन के बीच तनाव बढ़ा जरूर है. डोकलम ट्राई जंक्शन को लेकर भारत-चीन अपने अपने रुख पर कायम है. चीन हमसे सेना हटाने को कहता है. हमने 2012 के डोकलम नोट के हिसाब से दोनों ही पक्षों को पीछे हटने को कहा है. सिक्किम में भारत-चीन सीमा पर हमारा पक्ष 1914 के ब्रिटेन-चीन समझौते के हिसाब से है.
यह भी पढ़ें : डोकलाम में भारतीय सैनिकों की संख्या में कोई भी कटौती नहीं की गई : सूत्र
चीन के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि देश के सबसे बड़े विरोधी दल के नेता ने भारत सरकार से स्थिति के बारे में जानने के बजाय चीन के राजदूत को बुलाकर जानकारी मांगी. इस पर आनंद शर्मा ने सफाई देने की कोशिश की. स्वराज ने कहा कि कांग्रेस नेता को पहले सरकार ने जानकारी लेनी चाहिए थी फिर चीन के राजदूत से बात करनी चाहिए थी.
यह भी पढ़ें : चीन ने फैक्टशीट जारी की : कहा- चीन और भूटान के सीमा मामले में भारत कैसे दखल दे सकता है?
उन्होंने सपा नेता रामगोपाल यादव के युद्ध की तैयारी के बयान पर कहा कि युद्ध से समाधान नहीं निकलता. सेना को तैयार रखना होता है. धैर्य और भाषा संयम और रणनीतिक रास्तों से हल निकालने की कोशिश की जा रही है. अब आर्थिक क्षमता से रास्ते देखे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पड़ोसियों को अपने विकास में मदद चाहिए.
विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि अपनी और पड़ोसियों की तरक्की भी होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मई, 2014 में 116 बिलियन डॉलर का निवेश था अब चीन से 37 फीसदी ज्यादा पैसा भारत में आया है.
VIDEO : संसद में सुषमा स्वराज डोकलाम पर पहले यह दिया था बयान
सीमा विवाद पर सभी दलों के सहयोग पर सुषमा स्वराज ने कहा कि 1962 में अटल जी की मांग पर नेहरू जी ने सदन की बैठक बुलाई थी. हमने बिना किसी विपक्षी नेता की मांग के बैठक बुलाई और दो दिनों तक बैठक की. सभी दलों के नेताओं को पूरी स्थिति समझाई गई. बैठक में सभी दलों के नेताओं के प्रश्नों के जवाब दिए. सभी नेता इस मुद्दे पर संतुष्ट थे.
सुषमा स्वराज ने चीन पर भारत के रुख पर अपना आधिकारिक नोट पढ़ते हुए कहा कि डोकलम मुद्दे को लेकर भारत-चीन के बीच तनाव बढ़ा जरूर है. डोकलम ट्राई जंक्शन को लेकर भारत-चीन अपने अपने रुख पर कायम है. चीन हमसे सेना हटाने को कहता है. हमने 2012 के डोकलम नोट के हिसाब से दोनों ही पक्षों को पीछे हटने को कहा है. सिक्किम में भारत-चीन सीमा पर हमारा पक्ष 1914 के ब्रिटेन-चीन समझौते के हिसाब से है.
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चीन के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि देश के सबसे बड़े विरोधी दल के नेता ने भारत सरकार से स्थिति के बारे में जानने के बजाय चीन के राजदूत को बुलाकर जानकारी मांगी. इस पर आनंद शर्मा ने सफाई देने की कोशिश की. स्वराज ने कहा कि कांग्रेस नेता को पहले सरकार ने जानकारी लेनी चाहिए थी फिर चीन के राजदूत से बात करनी चाहिए थी.
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उन्होंने सपा नेता रामगोपाल यादव के युद्ध की तैयारी के बयान पर कहा कि युद्ध से समाधान नहीं निकलता. सेना को तैयार रखना होता है. धैर्य और भाषा संयम और रणनीतिक रास्तों से हल निकालने की कोशिश की जा रही है. अब आर्थिक क्षमता से रास्ते देखे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पड़ोसियों को अपने विकास में मदद चाहिए.
विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि अपनी और पड़ोसियों की तरक्की भी होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मई, 2014 में 116 बिलियन डॉलर का निवेश था अब चीन से 37 फीसदी ज्यादा पैसा भारत में आया है.
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सीमा विवाद पर सभी दलों के सहयोग पर सुषमा स्वराज ने कहा कि 1962 में अटल जी की मांग पर नेहरू जी ने सदन की बैठक बुलाई थी. हमने बिना किसी विपक्षी नेता की मांग के बैठक बुलाई और दो दिनों तक बैठक की. सभी दलों के नेताओं को पूरी स्थिति समझाई गई. बैठक में सभी दलों के नेताओं के प्रश्नों के जवाब दिए. सभी नेता इस मुद्दे पर संतुष्ट थे.
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