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This Article is From Sep 29, 2016

सरकार ने उरी के बाद जनता में उमड़े 'गुस्से' को शांत करने के लिए किया सर्जिकल हमला : सूत्र

सरकार ने उरी के बाद जनता में उमड़े 'गुस्से' को शांत करने के लिए किया सर्जिकल हमला : सूत्र
नई दिल्ली: बुधवार रात को पाकिस्तानी इलाके में भारतीय सेना द्वारा सर्जिकल हमला, यानी सर्जिकल स्ट्राइक उरी सेना बेस पर आतंकी हमले के बाद देश की जनता में उमड़े 'व्यापक गुस्से' को शांत करने के लिए किया गया. यह कहना है कि उन मंत्रियों का, जो गुरुवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा की समीक्षा करने के लिए बुलाई गई बैठक में शामिल थे.

सूत्रों ने नाम नहीं छापने की इच्छा जताते हुए कहा कि सरकार को इस बात की जानकारी थी कि 'जनता में उरी हमले के बाद उसी तरह का व्यापक गुस्सा मौजूद है, जैसा निर्भया कांड के बाद उमड़ा था...' सूत्रों ने यह भी बताया कि जनता में इस कदर गुस्सा भरा हुआ था, जो पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए भारत द्वारा हाल ही में उठाए गए एमएफएन दर्जा वापस लेने और राजनयिकों को वापस बुला लेने जैसे कदमों से शांत नहीं होने वाला था.

मंत्रियों ने बताया, आधी रात से सुबह 4 बजे के बाद तक चले सर्जिकल स्ट्राइक में भारतीय सेना नियंत्रण रेखा के पार दो किलोमीटर तक भीतर गई. उन्होंने कहा, "हमारी फौजें काफी भीतर तक गईं, और सूर्योदय से पहले लौट आईं..." मंत्रियों ने यह भी बताया कि पाकिस्तान से इसी बात की उम्मीद थी वह इसका खंडन करेगा, क्योंकि "आतंकवादी कैम्पों में बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं..." उन्होंने यह भी कहा कि आतंकी कैम्पों को जो नुकसान पहुंचाया गया है, भारत के पास उसके सबूत मौजूद हैं, और यह भारत तय करेगा कि फोटो तथा अन्य सबूत कब जारी करने हैं.

उरी में आतंकी हमले के बाद यह सर्जिकल स्ट्राइक भारत की ओर से की गई पहली सीधी सैन्य कार्रवाई है, जिसके बारे में बताते हुए सूत्रों ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो साल तक शांति बनाए रखने की कोशिश की, (लेकिन) नवाज़ शरीफ ने अपनी सेना के कहने में चलने का फैसला किया..." इसी सप्ताह सोमवार को विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नवाज़ शरीफ की तरफ हाथ बढ़ाने की कोशिशों, जिनमें शपथग्रहण समारोह में उन्हें न्योता देना तथा दिसंबर में शरीफ के जन्मदिन पर अचानक उनके घर पहुंच जाना शामिल थे, के बदले भारत को आतंकी हमले ही देखने को मिले.

प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी थी कि उरी में हुए आतंकी हमले का बदला लिया जाएगा, और सही समय आने पर सेना कार्रवाई करेगी. हाल ही के दिनों में भारत की ओर से राजनयिक तरीकों से भी पाकिस्तान को अलग-थलग करने और उस पर दबाव डालने की कोशिशें जारी रही हैं, जिनमें दशकों पुरानी सिंधु जलसंधि व अन्य समझौतों पर पुनर्विचार करना शामिल है. इसके अलावा प्रधानमंत्री से न सिर्फ उनकी पार्टी के कुछ लोगों ने, बल्कि विपक्षी दलों के राजनेताओं ने भी आग्रह किया था कि पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि साबित हो सके कि भारत के खिलाफ आतंकवादी हमले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे.
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