
- सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों के मुआवजे को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है
- अदालत ने कहा कि दुर्घटना का समय, स्थान और रोजगार के बीच संबंध स्थापित होना जरूरी होगा मुआवजे के लिए
- सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को पलटते हुए मुआवजे देने का आदेश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम के एक प्रावधान में इस्तेमाल “नौकरी के दौरान और उसके कारण हुई दुर्घटना” वाक्यांश में निवास स्थान और कार्यस्थल के बीच आने-जाने के दौरान होने वाले हादसे भी शामिल होंगे. अदालत ने कहा कि बात जब काम पर जाते समय या घर लौटते वक्त कर्मचारियों के साथ होने वाली दुर्घटनाओं की आती है, तो अधिनियम की धारा-3 में इस्तेमाल इस वाक्यांश को लेकर “काफी संदेह और अस्पष्टता” है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
अदालत ने कहा कि हम कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम की धारा-3 में प्रयुक्त वाक्यांश नौकरी के दौरान और उसके कारण हुई दुर्घटना की व्याख्या इस प्रकार करते हैं कि इसमें किसी कर्मचारी के साथ उसके निवास स्थान से ड्यूटी के लिए कार्यस्थल तक जाने या ड्यूटी के बाद कार्यस्थल से उसके निवास स्थान तक लौटने के दौरान होने वाली दुर्घटना शामिल होगी, बशर्ते दुर्घटना घटित होने की परिस्थितियों, समय, स्थान तथा रोजगार के बीच संबंध स्थापित हो.
बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने पलटा
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के दिसंबर 2011 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने श्रमिक क्षतिपूर्ति आयुक्त एवं सिविल न्यायाधीश, उस्मानाबाद के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें एक व्यक्ति के परिवार के सदस्यों को ब्याज सहित 3,26,140 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया था. इस व्यक्ति की ड्यूटी पर जाते समय दुर्घटना में मौत हो गई थी.
यहां जानिए क्या था पूरा मामला
यह आदेश कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम के तहत दायर एक दावे पर पारित किया गया था. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मृतक एक चीनी फैक्टरी में चौकीदार के रूप में कार्यरत था और 22 अप्रैल 2003 को दुर्घटना के दिन उसकी ड्यूटी का समय तड़के तीन बजे से पूर्वाह्न 11 बजे तक था. पीठ ने कहा कि यह निर्विवाद है कि वह अपने कार्यस्थल की ओर जा रहा था और कार्यस्थल से लगभग पांच किलोमीटर पहले एक स्थान पर घटी दुर्घटना में उसकी मौत हो गई थी.
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