सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ का गठन हो गया है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ मामले की सुनवाई करेगी. संविधान पीठ में सीजेआई जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदू मल्होत्रा हैं. बता दें कि नौकरी में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर विभिन्न हाईकोर्ट द्वारा सरकारी आदेश को रद्द करने के आदेशों के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ मामले की सुनवाई करेगी.
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संविधान पीठ सरकारी नौकरियों की पदोन्नति में 'क्रीमी लेयर' के लिए एससी-एसटी आरक्षण के मुद्दे पर अपने 12 साल पुराने फैसले की समीक्षा करेगी. संविधान पीठ इस बात पर भी विचार करेगी कि इस मुद्दे पर सात जजों की पीठ को पुनर्विचार करने की जरूरत है या नहीं. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट अब फिर से ये विचार करेगा कि क्या सरकारी नौकरी में पदोन्नति में SC/ST को आरक्षण दिया जा सकता है या नहीं, भले ही इस संबंध में उनके अपर्याप्त प्रतिनिधित्व को लेकर डेटा ना हो.
सुप्रीम कोर्ट फिर विचार करेगा कि सरकारी नौकरी में SC/ST को प्रमोशन में आरक्षण दिया जाए या नहीं
गौरतलब है कि कई राज्य सरकारों ने हाईकोर्ट के प्रमोशन में आरक्षण रद्द करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. उनकी दलील है कि जब राष्ट्रपति ने नोटिफिकेशन के जरिए SC/ST के पिछड़ेपन को निर्धारित किया है, तो इसके बाद पिछड़ेपन को आगे निर्धारित नहीं किया जा सकता.
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राज्यों व SC/ST एसोसिएशनों ने दलील दी कि क्रीमी लेयर को बाहर रखने का नियम SC/ST पर लागू नहीं होता और सरकारी नौकरी में प्रमोशन दिया जाना चाहिए क्योंकि ये संवैधानिक जरूरत है. वहीं हाईकोर्ट के आदेशों का समर्थन करने वालों की दलील थी कि सुप्रीम कोर्ट के नागराज फैसले के मुताबिक इसके लिए ये साबित करना होगा कि सेवा में SC/ST का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है और इसके लिए डेटा देना होगा.
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गौरतलब है कि कई राज्य सरकारों ने हाईकोर्ट के प्रमोशन में आरक्षण रद्द करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. उनकी दलील है कि जब राष्ट्रपति ने नोटिफिकेशन के जरिए SC/ST के पिछड़ेपन को निर्धारित किया है, तो इसके बाद पिछड़ेपन को आगे निर्धारित नहीं किया जा सकता.
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