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This Article is From Mar 25, 2019

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अध्यादेश पर हस्तक्षेप करने से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा फंडेड विश्वविद्यालयों में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की  नियुक्तियां घट सकती हैं.

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अध्यादेश पर हस्तक्षेप करने से किया इनकार
फाइल फोटो
नई दिल्ली:

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आरक्षण  के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि इस पर पहले संबंधित हाइकोर्ट में सुनवाई हो क्योंकि यह राज्यों से जुड़ा मामला है. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए ये अध्यादेश लाया गया तो पूरी तरह असंवैधानिक है. याचिका में 200 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली के अध्यादेश पर तुरंत रोक लगाने की मांग की गई है.  फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा है कि याचिकाओं में जो आधार दिए गए हैं उन पर कोर्ट पहले से ही विचार कर चुका है. लिहाजा कोर्ट को अपने 23 जनवरी के फैसले में कोई त्रुटि नजर नहीं आती. कोर्ट ने खुली अदालत में सुनवाई की मांग भी ठुकरा दी. इसके बाद केंद्र सरकार ने अध्यादेश पारित कर फैसले को पलट दिया था. 

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा फंडेड विश्वविद्यालयों में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की  नियुक्तियां घट सकती हैं.  सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोटे के लाभ के लिए विश्वविद्यालय नहीं बल्कि विभाग को एक इकाई के रूप में लिया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और यूजीसी (UGC) की अपील खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला तर्कसंगत है. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद रूकी हुई भर्ती प्रक्रिया फिर से शुरू होगी. आपको बता दें कि लगभग 6000 पदों पर भर्तियां रुकी हुई थीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों, प्रोफेसरों की भर्ती के लिए विश्वविद्यालय-स्तर पर नौकरियों को एक साथ जोड़कर नहीं देख सकते. एक विभाग के प्रोफेसर की दूसरे विभाग के प्रोफेसर से तुलना कैसे की जा सकती है?

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दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अप्रैल 2017 में 200 प्वाइंट वाले रोस्टर, जिसमें कॉलेज/यूनिवर्सिटी को एक यूनिट माना जाता था, रद्द कर दिया था और कहा था कि विश्वविद्यालय नहीं बल्कि विभाग को एक इकाई माना जाना चाहिए. इससे पहले यूजीसी का रोस्टर लागू था जिसमें यूनिवर्सिटी को एक इकाई माना जाता था और एससी/एसटी और ओबीसी को प्रोफेसर आदि के पद पर आरक्षण दिया जाता था

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