सुप्रीम कोर्ट ने कोविड -19 रोगियों के समुचित उपचार और अस्पतालों में कोरोना रोगियों के शवों के साथ गरिमापूर्ण व्यवहार को लेकर स्वत: संज्ञान लिया है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर आज सुनवाई करेगा. भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने इस मामले पर खुद संज्ञान लिया और मामले की सुनवाई जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस, एम. आर शाह की पीठ को सौंपी है. दरअसल पिछले दिनों कोरोना रोगियों के शवों का अनादर करने वाली कई रिपोर्ट सामने आईं जो कि संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है.बता दें कि पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने भी CJI को चिट्ठी लिखकर कोरोना के रोगियों के शवों के साथ बर्ताव पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया था.
हाल ही में, पुदुचेरी में सरकारी कर्मचारियों द्वारा कोविद -19 रोगी के शव को कब्र में फेंकने का वीडियो सामने आया था. कई मामलों में रिपोर्टें भी सामने आईं जहां परिवार के लोग भी अंतिम संस्कार के लिए मरीज का शव लेने को तैयार नहीं थे. पंडित परमानंद कटारा मामले (1995) में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा और न्यायपूर्ण उपचार का अधिकार केवल एक जीवित व्यक्ति को ही नहीं बल्कि उसके शरीर को भी उपलब्ध है, उसकी मृत्यु के बाद भी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा आश्रय अधिकार अभियान बनाम भारत संघ (2002) में भी सभ्य तरीके दफन करने या दाह संस्कार को मान्यता दी गई थी.
बताते चलें कि राजधानी में अस्पतालों, मोर्चरी और श्मशान घाट में कोविद -19 के मारे गए लोगों के अनियंत्रित शवों के ढेर दिखाने वाली रिपोर्टों के बाद, दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी हाल ही में मानवाधिकारों के उल्लंघन का संज्ञान लिया था.
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