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इतनी भी जल्दबाजी क्या थी... जंगल काटने पर तेलंगाना सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

जस्टिस बीआर गवई ने सुनवाई के दौरान कहा कि निजी वनों में भी पेड़ों को काटने के लिए अदालत की अनुमति की आवश्यकता होती है.

सुप्रीम कोर्ट लगाई तेलंगाना सरकार को फटकार

नई दिल्ली:

तेलंगाना के कांचा गोचीबोवली क्षेत्र में पेड़ों की कटाई का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान तेलंगाना सरकार पर सवाल खड़े किए. कोर्ट ने कहा कि अगर आप अपने मुख्य सचिवों को बचाना चाहते हैं तो हमें बताएं कि आप उन 100 एकड़ जमीन को कैसे बहाल करेंगे ? हम यह देखकर हैरान हैं कि आखिर जानवर कहां शरण की तलाश कर रहे हैं. हम नौकरशाहों या मंत्रियों की व्याख्या पर नहीं चलेंगे. हम वीडियो में शाकाहारी जानवरों को देखकर हैरान हैं, वे शेल्टर की तलाश में भाग रहे हैं, उन्हें आवारा कुत्ते काट रहे हैं. 

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दरअसल, हैदराबाद के कांचा गाचीबोवली क्षेत्र में सैकड़ों एकड़ भूमि में पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई पर हैरानी जताते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल को वहां किए जाने वाले सभी प्रकार के विकास कार्यों को रोकने का आदेश दिया था.
अगले आदेश तक,पहले से मौजूद पेड़ों की सुरक्षा को छोड़कर, किसी भी प्रकार की कोई गतिविधि राज्य द्वारा नहीं की जाएगी.पिछली सुनवाई में, कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को कोर्ट के निर्देशों के उल्लंघन के मामले में व्यक्तिगत उत्तरदायित्व की चेतावनी भी दी और एक विस्तृत हलफनामा मांगा था.

जस्टिस बीआर गवई ने सुनवाई के दौरान कहा कि निजी वनों में भी पेड़ों को काटने के लिए अदालत की अनुमति की आवश्यकता होती है. आपके लिए बेहतर तरीका यह होगा कि आप न्यायोचित ठहराने के बजाय यह योजना बताएं कि आप किस तरह से पेड़ों को बहाए जा रहे हैं.

जस्टिस गवई ने सुनवाई के दौरान पूछा कि आखिर इतनी भी जल्दबाजी क्या थी? एक साथ इतने सारे बुलडोजर लगा दिए गए. हमें स्पष्टीकरण नहीं बल्कि समाधान चाहिए. इतनी जल्दबाजी क्या थी. इतने सारे बुलडोजर लगा दिए. समाधान बताइए नहीं तो हमें नहीं पता कि आपके कितने अधिकारियों को अस्थायी रूप से जाना पड़ेगा. 3 दिन की छुट्टियों में ऐसा करने की क्या जल्दी ? बुलडोजर उन्हीं छुट्टियों में लाए गए थे. हम पर्यावरण की रक्षा के लिए यहां हैं.

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जस्टिस बीआर गवई ने कहा हमें किसी बात की चिंता नहीं है.⁠हमें सिर्फ़ पर्यावरण को होने वाले नुकसान की चिंता है. कोई भी ऐसा कानून जो इस न्यायालय के आदेशों की भाषा के विरुद्ध हो, मान्य नहीं होगा.हमने एक बार सुकमा झील में एक बड़े आवासीय प्रोजेक्ट के निर्माण को रोका था. आप समाधान बताइए

जस्टिस गवई ने आगे कहा कि हम सिर्फ इस बात पर ध्यान दे रहे हैं कि राज्य सरकार की अनुमति के बिना कितने पेड़ काटे गए.हम सिर्फ़ दर्जनों बुलडोजरों और सैकड़ों एकड़ के जंगलों को नष्ट किए जाने पर ही काम कर रहे हैं. अगर आप कुछ करना चाहते थे तो आपको उचित अनुमति लेनी चाहिए थी.

कोर्ट ने कहा कि यह राज्य पर निर्भर करता है कि वह अपने कुछ अधिकारियों को अस्थायी जेल में भेजना चाहती है या नहीं.यह देखें कि जंगली जानवरों की सुरक्षा कैसे की जा सकती है.शहर में हरियाली होनी चाहिए. सरकार बताए कि जंगली जानवरों को बचाने के लिए क्या कदम उठा रही है. 

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