सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने किसानों के धरने (Farmers Agitation) के मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकारों को कड़ी फटकार लगाई है और पूछा है कि आखिर सड़क क्यों नहीं खाली कराई गई. किसानों के विरोध के चलते सड़क जाम के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि कोर्ट ने जो पहले व्यवस्था दी है, उसे लागू करना होगा. अदालत ने कहा कि सरकार ये नहीं कह सकती है कि हम नहीं कर पा रहे हैं.
कोर्ट ने कहा कि रोड जाम होने से राजस्व संग्रह बंद है. लोगों को दिक्कतें हो रही हैं. अदालत ने कहा कि हाइवे और सड़कें इस तरह जाम नहीं रह सकतीं. कोर्ट ने जो कानून निर्धारित किया है, उसे लागू करने का काम सरकारों का है. अदालत ने किसानों को पक्षकार बनाने की केंद्र को इजाजत दे दी है. मामले की सुनवाई चार अक्तूबर को होगी.
कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि हाईवे और सड़कों को जाम नहीं किया जाना चाहिए. कानून पहले ही निर्धारित किया जा चुका है. हम इसे बार-बार नहीं दोहरा सकते. इसे लागू करना कार्यपालिका का कर्तव्य है. याचिका की सुनवाई कर रहे जस्टिस एस के कौल ने कहा, "न्यायपालिका कार्यपालिका पर अतिक्रमण नहीं कर सकती. किसानों को शिकायत हो सकती है लेकिन सड़क पर फंसी जनता को भी उनसे शिकायत है. किसानों की शिकायतों के निवारण के उचित न्यायिक मंच और अन्य विकल्प हैं लेकिन ये अवरोध बार-बार नहीं हो सकते."
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SG तुषार मेहता ने कहा, हमने समितियों का गठन किया है और किसानों को चर्चा के लिए आमंत्रित किया है लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वे इस मामले में पक्षकार नहीं हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतों ने जो निर्धारित किया है, उसे आपको लागू करना होगा लेकिन अगर आप चाहते हैं कि कोई इस मामले में पक्षकार बने तो आपको आवेदन दाखिल करना होगा. कोर्ट ने पूछा कि बताएं आपने अब तक क्या-क्या किया है?
SC ने याचिकाकर्ता मोनिका अग्रवाल से पूछा कि क्या स्थिति में कोई सुधार हुआ है? इस पर मोनिका अग्रवाल ने कहा : नहीं.
एसजी तुषार मेहता ने कहा कि हमने तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर किसान नेताओं को बुलाया था और अन्य स्थान पर धरने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने अस्वीकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप इस मामले में अदालत में आवेदन क्यों नहीं करते. इस पर एसजी ने कहा कि ठीक है हम आवेदन दाखिल करेंगे.
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इससे पहले, हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि प्रदर्शनकारी किसानों को हाईवे से जाम हटाने के लिए मनाने की कोशिश जारी रहेगी. राज्य ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि किसान सार्वजनिक स्थानों पर आंदोलन के मुद्दे को हल करने के लिए गठित पैनल से नहीं मिले. किसानों के लंबे आंदोलन के कारण आम जनता को "बड़ी कठिनाई" का सामना करना पड़ रहा है. किसानों को सड़कों से हटाने के लिए मनाने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह इस समस्या का कोई हल निकाले नोएडा की रहने वाली मोनिका अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया कि नोएडा से दिल्ली को जोड़ने वाली सड़कें किसान आंदोलन के चलते बंद हैं और इसकी वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन सड़कों को खोला जाना चाहिए.
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