देशभर में 31 मार्च से BS-IV वाहनों की बिक्री पर रोक के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने डीलर्स एसोसिएशन और FADA को आदेश के उल्लंघन पर फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब अदालत ने 31 मार्च के बाद सीमित बीएस IV वाहनों की बिक्री की अनुमति दी थी तो ज्यादा वाहन क्यों बेचे गए. कोर्ट ने कहा कि BS-IV वाहनों की बिक्री और पंजीकरण के लिए छूट पर आदेश का स्पष्ट रूप से ऑटोमोबाइल डीलरों द्वारा उल्लंघन किया गया है. उच्चतम न्यायलय ने कहा कि 1.05 लाख BS-IV वाहनों की बिक्री और पंजीकरण की अनुमति दी थी, अब लगता है कि 2.55 लाख वाहन बेचे गए हैं. कोर्ट ने शुक्रवार तक FADA से बिक्री और पंजीकरण का विवरण मांगा है. कोर्ट ने सडक एवं परिवहन मंत्रालय से भी 27 मार्च के आदेश के बाद बेचे और पंजीकृत किए गए बीएस- IV वाहनों का विवरण मांगा है.
पीठ ने कहा कि अदालत ने ये अनुमति दी थी क्योंकि लॉकडाउन के कारण डीलरों ने स्टॉक को खत्म नहीं किया था. बता दें कि 27 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने ओटोमोबाइल डीलरों को थोडी राहत देते हुए दस दिनों के भीतर BS-IV बचे वाहनों के स्टॉक में से 10 फीसदी बेचने की इजाजत दी थी. कोर्ट ने कहा था कि ये वाहन दस दिनों के भीतर ही पंजीकृत किए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि ये वाहन दिल्ली- NCR में नहीं बेचे जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने फेडरेशन ऑफ़ ओटोमोबील डीलर एसोसिएशन "FADA" की याचिका पर ये फैसला सुनाया था.
BS-IV वाहनों की बिक्री की सीमा 31 मार्च से बढ़ाने की मांग को लेकर फेडरेशन ऑफ़ ओटोमोबील डीलर एसोसिएशन "FADA" ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. FADA" ने अपनी याचिका में कहा कि कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के चलते वाहनों की बिक्री नही हो पाई इसलिए सुप्रीम कोर्ट पुराने आदेश में बदलाव करे. सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश के मुताबिक 31 मार्च के बाद BS-IV की गाड़ियों की बिक्री बंद की जानी थी.
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