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This Article is From Nov 02, 2020

विजय माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 6 हफ्तों में स्टेटस रिपोर्ट मांगी

अदालत जनवरी के पहले हफ्ते में आगे फिर सुनवाई करेगी. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि कुछ कानूनी कार्यवाही अभी भी ब्रिटेन में लंबित है, जिससे प्रत्यर्पण में देरी हो रही है.

विजय माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 6 हफ्तों में स्टेटस रिपोर्ट मांगी
माल्या के खिलाफ चल रही अवमानना कार्यवाही के दौरान कोर्ट ने यह निर्देश दिया.
नई दिल्ली:

भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) के प्रत्यर्पण को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सरकार से छह हफ्तों में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. माल्या के खिलाफ चल रही अवमानना कार्यवाही के दौरान सोमवार को कोर्ट ने यह निर्देश दिया.

यह भी पढ़ें- माल्या के प्रत्यर्पण पर अमल नहीं कर रहा ब्रिटेन, केंद्र ने कोर्ट में कहा- चल रही गोपनीय कार्यवाही

अदालत जनवरी के पहले हफ्ते में आगे फिर सुनवाई करेगी. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि कुछ कानूनी कार्यवाही अभी भी ब्रिटेन में लंबित है, जिससे प्रत्यर्पण में देरी हो रही है. पिछली सुनवाई में अदालत ने माल्या के वकील से पूछा था कि उनके मुवक्किल इस केस में कब पेश हो सकते हैं. कोर्ट ने पूछा कि लंदन में चल रही प्रत्यर्पण की कार्यवाही कहां तक पहुंची है. कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि अभी मामले में क्या-कुछ हो रहा है औऱ प्रत्यर्पण में क्या रुकावट है.

प्रत्यर्पण पर अमल नहीं किया जा रहा
इस पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) को बताया कि माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश ब्रिटेन की सर्वोच्च अदालत दे चुकी है, लेकिन इस पर अमल नहीं किया जा रहा है. इस मामले में कुछ गोपनीय कार्यवाही हो रही है, जिसके बारे में भारत सरकार को भी अवगत नहीं कराया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को पांच अक्तूबर को दोपहर दो बजे से पहले व्यक्तिगत रूप में उपस्थित होने का निर्देश दिया था. शीर्ष अदालत ने गृह मंत्रालय को माल्या की अक्तूबर में न्यायालय में उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सुविधा देने का निर्देश दिया था.उच्चतम न्यायालय ने माल्या की अवमानना मामले में दोषी ठहराने के 2017 के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश जारी किया था.

आदेश के बावजूद रकम हस्तांतरित की
पीठ ने अवमानना के अपने आदेश में कहा था कि माल्या के खाते में 25 फरवरी 2016 को साढ़े सात करोड़ डॉलर के भुगतान के एक हिस्से के रूप में चार करोड़ डॉलर आए थे. उसने कुछ ही दिनों के भीतर 26 फरवरी और 29 फरवरी 2016 को इस रकम को दूसरी जगह हस्तांतरित कर दिया। कोर्ट के बार-बार आदेश दिए जाने के बावजूद माल्या ने अपनी संपत्ति का स्पष्ट खुलासा नहीं किया था. न ही चार करोड़ डॉलर खाते में आने और फिर इससे निकलने के बारे में कोई जानकारी दी थी. माल्या की दलील थी कि शीर्ष अदालत के निर्देशानुसार उसे 31 मार्च 2016 की स्थिति के अनुसार अपनी संपत्ति का खुलासा करना था और इस तरह से न्यायालय के किसी निर्देश का उल्लंघन नहीं किया गया था.

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