सुप्रीम कोर्ट( फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
उच्चतम न्यायालय ने कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की परीक्षा निजी वेंडरों के जरिये आयोजित कराने को चुनौती देने वाले छात्रों के ज्ञापन पर केन्द्र को विचार करने तथा छह सप्ताह में कारण सहित आदेश पारित करने का आज निर्देश दिया. शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं से एक सप्ताह में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से गुहार लगाने और उचित ज्ञापन सौंपने को कहा. न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने कहा कि अगर जरूरत पड़े तो डीओपीटी के सचिव और एसएससी के सदस्य याचिकाकर्ताओं की शिकायतों को सुनें.
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पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों से निपटते हुए छह सप्ताह में कारण सहित आदेश जारी किया जाए और इसमें समस्याओं को खत्म करने के सुझाव शामिल हों.’’ पीठ ने कहा कि गर्मी की छुट्टियों के बाद अदालत की कार्यवाही शुरू होने के बाद दूसरे सप्ताह में आगे की सुनवाई होगी.
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सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता शांतनु कुमार की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि एसएससी की संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा का जिम्मा एक ऐसे निजी वेंडर को सौंपा जा रहा है जो सत्यम घोटाले के संबंध में कथित रूप से आरोपी है.
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पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों से निपटते हुए छह सप्ताह में कारण सहित आदेश जारी किया जाए और इसमें समस्याओं को खत्म करने के सुझाव शामिल हों.’’ पीठ ने कहा कि गर्मी की छुट्टियों के बाद अदालत की कार्यवाही शुरू होने के बाद दूसरे सप्ताह में आगे की सुनवाई होगी.
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सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता शांतनु कुमार की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि एसएससी की संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा का जिम्मा एक ऐसे निजी वेंडर को सौंपा जा रहा है जो सत्यम घोटाले के संबंध में कथित रूप से आरोपी है.
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