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क्या किसी ‘मुहूर्त’ का इंतजार है...; विदेशियों की डिपोर्टिंग पर सुप्रीम कोर्ट का असम सरकार से सवाल

विदेशी घोषित किए गए लोगों को निर्वासित करने के बजाय अनिश्चित काल तक डिटेंशन सेंटर में रखने को लेकर असम सरकार को मंगलवार को फटकार लगाते हुए टिप्पणी की, ‘‘क्या आप किसी मुहुर्त का इंतजार कर रहे हैं.’’

क्या किसी ‘मुहूर्त’ का इंतजार है...;  विदेशियों की डिपोर्टिंग पर सुप्रीम कोर्ट का असम सरकार से सवाल
असम सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
नई दिल्ली:

अवैध रूप से रह रहे विदेशियों को डिपोर्ट करने के मामले में असम सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है. विदेशियों को डिपोर्ट करने में विफल रहने पर डिटेंशन सेंटर में अनिश्चितकाल तक रखे जाने पर कोर्ट ने सवाल उठाए. सुप्रीम कोर्ट ने असम राज्य को विदेशियों के रूप में घोषित व्यक्तियों को निर्वासित करने के कदम नहीं उठाने और उन्हें डिटेंशन सेंटर में अनिश्चितकाल तक रखने पर कड़ी फटकार लगाई सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को दो सप्ताह के भीतर डिटेंशन सेंटर में रखे गए 63 लोगों को निर्वासित करने का निर्देश दिया.

कोर्ट के असम सरकार से तीखे सवाल

कोर्ट ने असम सरकार से सवाल किया कि क्यों निर्वासन के कदम नहीं उठाए गए, जबकि यह बताया गया था कि प्रवासियों के विदेशी पते का खुलासा नहीं हुआ है. जस्टिस अभय एस ओक ने असम के मुख्य सचिव से कहा कि आपने निर्वासन शुरू करने से इनकार किया है यह कहकर कि उनके पते का पता नहीं है, ये लोग  हमारी चिंता क्यों होनी चाहिए? आप उन्हें उनके देश में निर्वासित कर सकते हैं.  उन्होंने आगे कहा कि आप पते के बिना भी उन्हें निर्वासित कर सकते हैं. आप उन्हें अनिश्चितकाल तक डिटेन नहीं रख सकते. विदेशी पते का खुलासा नहीं यह कारण है कि आप उन्हें निर्वासित नहीं कर रहे?जस्टिस ओक ने असम के वकील से पूछा कि आप विदेश मंत्रालय को प्रस्ताव क्यों नहीं भेज सकते? आपके चार्ट में यह नहीं बताया गया कि यह कह भेजा गया है. आपके चार्ट में 'विदेशी पता खुलासा नहीं हुआ' लिखा है.

असम सरकार के वकील की क्या दलील

असम के वकील ने जवाब दिया, पते के बिना, हम उन्हें कहां निर्वासित करें? कोर्ट ने कहा कि असम सरकार के हलफनामे में सही स्थिति को छुपाया गया है. एक हफ्ते में दूसरी बार असम सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने अवैध रूप से रहे विदेशियों को अनिश्चित काल तक हिरासत केंद्रों में रखने और  निर्वासित न करने पर असम सरकार को नसीहत दी. अनुच्छेद 21 के तहत जीने का मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विदेशियों तक भी है. उन्हें उनके देश वापस भेजने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए.  

लोगों की पहचान करने के लिए कमेटी बनाने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार से हिरासत केंद्रों का दौरा करने और उन लोगों की पहचान करने के लिए कमेटी बनाने को कहा जिन्हें तत्काल निर्वासित किया जा सकें. कमेटी पखवाड़े में एक बार ट्रांजिट शिविरों/हिरासत केंद्रों का दौरा करे और यह सुनिश्चित करेग कि वहां उचित सुविधाएं उपलब्ध हो सकता है. राज्य से 4 सप्ताह में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है.  सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी पूछा कि वह बताए कि घोषित विदेशियों, जिनकी राष्ट्रीयता ज्ञात नहीं है, के मामलों से कैसे निपटा जाएगा.

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