जयललिता को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
आय से अधिक संपत्ति के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए जयललिता और 2 अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जवाब दाखिल करने के लिए 8 हफ्ते का समय दिया गया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में शामिल प्रापर्टीज की खरीद फरोख्त पर रोक लगा दी है।
कर्नाटक हाई कोर्ट के जयललिता को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी जिस पर हुई सुनवाई में आज नोटिस जारी किया गया। हाई कोर्ट के फैसले पर कर्नाटक सरकार और डीएमके ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर कहा गया था कि हाइकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति का गलत आंकलन किया है।
अपनी अपील में सरकार ने कहा था कि हाई कोर्ट का आदेश सिर्फ तमाशा और गैरकानूनी है। जया को बरी करने से कानून की हार हुई है इसलिए कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जाए और उनकी सदस्यता को रद्द रखा जाए।
याचिका में राज्य सरकार ने कहा था कि हाई कोर्ट ने अपने फैसले में आय से अधिक संपत्ति का गलत आंकलन किया। जयललिता द्वारा आय से अधिक संपत्ति अर्जित किए जाने की राशि 76 फीसदी है, न की 8.12 फीसदी। इस गलती ने आदेश को अमान्य बना दिया है। याचिका में आगे कहा गया कि हाई कोर्ट में कर्नाटक सरकार को अपनी दलील रखने का मौका नहीं दिया गया, क्योंकि मामले में राज्य को पार्टी ही नहीं बनाया गया। इसी वजह से हाई कोर्ट में पूरी कानूनी प्रक्रिया बिगड़ गई। जबकि, अभियोजन पक्ष ने सारे सबूतों के बल पर ये साबित कर दिया था कि जया के पास 66 करोड़ की संपत्ति है, लेकिन हाई कोर्ट ने इन सबूतों पर ठीक से गौर नहीं किया।
आय से अधिक संपत्ति के मामले में स्पेशल कोर्ट ने जया और तीन अन्य को चार साल की सजा और 100 करोड़ का जुर्माना लगाया था। इसकी वजह से उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी, लेकिन इसी साल मई मे कर्नाटक हाई कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था और कहा था कि अगर आय दस फीसदी ज्यादा हो तो उसे अपराध नहीं माना जा सकता।
कर्नाटक हाई कोर्ट के जयललिता को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी जिस पर हुई सुनवाई में आज नोटिस जारी किया गया। हाई कोर्ट के फैसले पर कर्नाटक सरकार और डीएमके ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर कहा गया था कि हाइकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति का गलत आंकलन किया है।
अपनी अपील में सरकार ने कहा था कि हाई कोर्ट का आदेश सिर्फ तमाशा और गैरकानूनी है। जया को बरी करने से कानून की हार हुई है इसलिए कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जाए और उनकी सदस्यता को रद्द रखा जाए।
याचिका में राज्य सरकार ने कहा था कि हाई कोर्ट ने अपने फैसले में आय से अधिक संपत्ति का गलत आंकलन किया। जयललिता द्वारा आय से अधिक संपत्ति अर्जित किए जाने की राशि 76 फीसदी है, न की 8.12 फीसदी। इस गलती ने आदेश को अमान्य बना दिया है। याचिका में आगे कहा गया कि हाई कोर्ट में कर्नाटक सरकार को अपनी दलील रखने का मौका नहीं दिया गया, क्योंकि मामले में राज्य को पार्टी ही नहीं बनाया गया। इसी वजह से हाई कोर्ट में पूरी कानूनी प्रक्रिया बिगड़ गई। जबकि, अभियोजन पक्ष ने सारे सबूतों के बल पर ये साबित कर दिया था कि जया के पास 66 करोड़ की संपत्ति है, लेकिन हाई कोर्ट ने इन सबूतों पर ठीक से गौर नहीं किया।
आय से अधिक संपत्ति के मामले में स्पेशल कोर्ट ने जया और तीन अन्य को चार साल की सजा और 100 करोड़ का जुर्माना लगाया था। इसकी वजह से उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी, लेकिन इसी साल मई मे कर्नाटक हाई कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था और कहा था कि अगर आय दस फीसदी ज्यादा हो तो उसे अपराध नहीं माना जा सकता।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं