देशद्रोह कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सीजेआई एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की स्पेशल बेंच में सुनवाई हुई. बता दें कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, अरूण शौरी, पूर्व सैन्य अधिकारी और महुआ मोइत्रा की याचिकाओं पर सुनवाई हुई है. वहीं केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दूसरी अर्जी दाखिल की है. जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का वक्त और मांगा है. सोमवार को भी केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पहली अर्जी दाखिल कर जवाब दाखिल करने के लिए और वक्त मांगा था .
केंद्र ने कहा है कि मसौदा तैयार है लेकिन सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी का इंतजार है. दरअसल, IPC की धारा 124 A यानी देशद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को फाइनल सुनवाई होनी है . सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा था कि वो हफ्ते के अंत तक अपना जवाब दाखिल करें . इसके बाद याचिकाकर्ता अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करेंगे . केंद्र की ओर से SG तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र की ओर से जवाब लगभग तैयार है और दो- तीन दिन में हलफनामा दाखिल किया जाएगा . अन्य याचिकाओं को भी इसमें शामिल किया जाएगा .
SG तुषार मेहता ने कहा कि हम दो कारणों से जवाब दाखिल नहीं कर पाए. हमें वाजिब समय दिया जाए. ड्राफ्ट हलफनामा तैयार है, सक्षम प्राधिकरण की अप्रूवल का इंतजार है. हमने बहुत पहले ही नोटिस जारी किया था. हमें नहीं लगता कि मामले की सुनवाई शुरू नहीं होनी चाहिए. हमने नौ महीने पहले नोटिस जारी किया था . ब सुनवाई शुरू होनी चाहिए. याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि काफी वक्त हो गया है तो सुनवाई शुरू हो. CJI ने AG के के वेणुगोपाल से इस मामले पर पूछा. AG ने कहा कि उनको नोटिस किया गया था. वो सुनवाई करने को तैयार हैं.
SG ने कहा कि हमें कुछ वाजिब समय दिया जाना चाहिए. जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि ये नोटिस कई महीने पहले हुआ. ये केस अचानक लिस्ट नहीं हुआ. कानून का सवाल है. AG ने नवनीत राणा का मामला उठाया और कहा हनुमान चालीसा पढ़ने पर देशद्रोह का केस बनाया गया. कल ही जमानत हुई है . ऐसे में अदालत को देशद्रोह के कानून पर गाइडलाइन बनाने की जरूरत है.
CJI ने कहा कि AG ने पिछली सुनवाई में क्या कहा था? AG ने कहा कि कानून के दुरुपयोग को नियंत्रित किया गया है. लेकिन ऐसे फैसले हैं जो कानून के पक्ष में हैं और इसे वर्तमान परिस्थितियों में बनाए रखने की जरूरत है. CJI ने कहा कि लेकिन क्या आपने पहले नहीं कहा था कि इसे हल्का करने की जरूरत है?
AG ने कहा कि देशद्रोह पर गाइडलाइन बनाने की जरूरत है. तय हो कि देशद्रोह में किसकी अनुमति है और किसकी नहीं ? गाइडलाइन बनाई जाएं. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि क्या हम देशद्रोह के मामले को पुराने केदारनाथ मामले को बड़ी बेंच को भेजे बिना सुन सकते हैं ? कपिल सिब्बल ने कहा कि हां, उन्होंने पुराने फैसलों का हवाला दिया.
CJI ने कहा कि क्या हम इस मामले को बड़ी बेंच को भेजे बिना सुनवाई कर सकते हैं ? सिब्बल ने कहा कि जी हां , रोजाना पत्रकारों व अन्य को देशद्रोह के मामलों में गिरफ्तार किया जा रहा है . ये अंग्रेजों के जमाने का कानून है. SG ने कहा कि लेकिन केदारनाथ फैसला तो आजादी के बाद का है.
AG ने कहा कि मुख्य सवाल जो उठाया गया है वह यह है कि केदारनाथ का फैसला सही था या नहीं . केदार नाथ सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था. लेकिन इसके दुरुपयोग के दायरे को सीमित करने का प्रयास किया. अदालत ने माना था कि जब तक हिंसा के लिए उकसाने या आह्वान नहीं किया जाता. सरकार देशद्रोह का मामला दर्ज नहीं कर सकती. केदारनाथ फैसले ने उन स्थितियों को कम कर दिया था जिनमें राजद्रोह का इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन अब यह आरोप लगाया जा रहा है कि कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है.
देशद्रोह कानून की वैधता का मामला 7 जजों के संविधान पीठ को भेजा जाए या नहीं, सुप्रीम कोर्ट परीक्षण करेगा. कोर्ट ने शनिवार सुबह तक सभी पक्षों को लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सोमवार सुबह तक जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है. दस मई को दो बजे सुनवाई होगी.
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