सलमान खान की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
राजस्थान के जोधपुर में चिंकारा शिकार मामले में बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली राजस्थान सरकार की ओर से दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर ली.
जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस आर भानुमति की एक पीठ ने यह भी कहा कि मामले में जल्द सुनवाई की जाएगी. पीठ ने नोटिस जारी करते हुए अभिनेता से जवाब मांगा.
राजस्थान हाईकोर्ट ने 'कानूनी कमियों' के आधार पर सलमान को बरी करने का फैसला सुनाया था, जिसके खिलाफ राजस्थान सरकार ने पिछले महीने यह अपील दायर की थी.
राज्य सरकार ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसमें 50 वर्षीय अभिनेता को दोषी ठहाराने और पांच साल की जेल की सजा निरस्त कर दी गई थी. उन्होंने कहा, 'राजस्थान सरकार ने शीर्ष अदालत में विशेष अनुमति याचिका दायर की कि हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसलों को निरस्त कर अपनी पुनरीक्षण शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया है. निचली अदालत ने सलमान खान को दोषी करार देते हुए पांच साल की सजा सुनाई थी और यह फैसला कानूनी कमियों से ग्रस्त है..'
अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने एक बयान में कहा था, 'सलमान की सजा ठोस साक्ष्य पर आधारित थी जिसे उच्च न्यायालय ने ऐसे अत्यंत तकनीकी मुद्दों के आधार पर खारिज कर दिया था जो टिकने वाले नहीं हैं.'
वकील ने कहा कि सुनवाई में मामूली विसंगतियां अभियोजन पक्ष के समूचे मामले को कमजोर नहीं करनी चाहिए और हाईकोर्ट 'समूची परिस्थितियों' को देखने में नाकाम रहा है, जिसे सलमान के खिलाफ अभियोजन पक्ष ने संदेह से परे साबित किया था. वकील ने कहा, 'अभिनेता के पास गवाह और जिप्सी ड्राइवर हरीश दुलानी से जिरह का पर्याप्त मौका था और जब उन्होंने जानबूझकर उससे जिरह नहीं किया तो गवाह के बयान को सलमान के खिलाफ स्वीकार किया जाना चाहिए.'
हाईकोर्ट ने 25 जुलाई को अभिनेता को 1998 में जोधपुर में हुए चिंकारा के शिकार से जुड़े दो मामलों में बरी कर दिया था. अदालत ने यह माना था कि चिंकारा से बरामद गोली सलमान की लाइसेंसी बंदूक से नहीं चली थी.
26-27 सितंबर, 1998 को जोधपुर के भावड़ गांव में दो चिंकारों और 28-29 सितंबर, 1998 को मथानिया (घोड़ा फॉर्म) में एक चिंकारा के शिकार मामले में सलमान खान के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 51 के तहत दो अलग अलग मामले दर्ज किए गए थे.
निचली अदालत (सीजेएम) ने दोनों मामलों में अभिनेता को दोषी ठहराते हुए क्रमश: 17 फरवरी, 2006 और 10 अप्रैल, 2006 को एक साल और पांच साल की सजा सुनाई थी.
जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस आर भानुमति की एक पीठ ने यह भी कहा कि मामले में जल्द सुनवाई की जाएगी. पीठ ने नोटिस जारी करते हुए अभिनेता से जवाब मांगा.
राजस्थान हाईकोर्ट ने 'कानूनी कमियों' के आधार पर सलमान को बरी करने का फैसला सुनाया था, जिसके खिलाफ राजस्थान सरकार ने पिछले महीने यह अपील दायर की थी.
राज्य सरकार ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसमें 50 वर्षीय अभिनेता को दोषी ठहाराने और पांच साल की जेल की सजा निरस्त कर दी गई थी. उन्होंने कहा, 'राजस्थान सरकार ने शीर्ष अदालत में विशेष अनुमति याचिका दायर की कि हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसलों को निरस्त कर अपनी पुनरीक्षण शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया है. निचली अदालत ने सलमान खान को दोषी करार देते हुए पांच साल की सजा सुनाई थी और यह फैसला कानूनी कमियों से ग्रस्त है..'
अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने एक बयान में कहा था, 'सलमान की सजा ठोस साक्ष्य पर आधारित थी जिसे उच्च न्यायालय ने ऐसे अत्यंत तकनीकी मुद्दों के आधार पर खारिज कर दिया था जो टिकने वाले नहीं हैं.'
वकील ने कहा कि सुनवाई में मामूली विसंगतियां अभियोजन पक्ष के समूचे मामले को कमजोर नहीं करनी चाहिए और हाईकोर्ट 'समूची परिस्थितियों' को देखने में नाकाम रहा है, जिसे सलमान के खिलाफ अभियोजन पक्ष ने संदेह से परे साबित किया था. वकील ने कहा, 'अभिनेता के पास गवाह और जिप्सी ड्राइवर हरीश दुलानी से जिरह का पर्याप्त मौका था और जब उन्होंने जानबूझकर उससे जिरह नहीं किया तो गवाह के बयान को सलमान के खिलाफ स्वीकार किया जाना चाहिए.'
हाईकोर्ट ने 25 जुलाई को अभिनेता को 1998 में जोधपुर में हुए चिंकारा के शिकार से जुड़े दो मामलों में बरी कर दिया था. अदालत ने यह माना था कि चिंकारा से बरामद गोली सलमान की लाइसेंसी बंदूक से नहीं चली थी.
26-27 सितंबर, 1998 को जोधपुर के भावड़ गांव में दो चिंकारों और 28-29 सितंबर, 1998 को मथानिया (घोड़ा फॉर्म) में एक चिंकारा के शिकार मामले में सलमान खान के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 51 के तहत दो अलग अलग मामले दर्ज किए गए थे.
निचली अदालत (सीजेएम) ने दोनों मामलों में अभिनेता को दोषी ठहराते हुए क्रमश: 17 फरवरी, 2006 और 10 अप्रैल, 2006 को एक साल और पांच साल की सजा सुनाई थी.
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