जर्मन बेकरी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
2010 में पुणे में हुए जर्मन बेकरी ब्लास्ट मामले में महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दोषी मिर्ज़ा हिमायत बेग को नोटिस जारी किया है। महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
इस मामले में एकमात्र दोषी मिर्ज़ा हिमायत बेग को बॉम्बे हाई कोर्ट ने आतंकी गतिविधियों, साजिश, हत्या, गैर-कानूनी गतिविधियों के आरोप से से बरी कर दिया था, वहीं विस्फोटक अधिनियम के तहत फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था।
महाराष्ट्र सरकार ने अपील में कहा है कि बेग के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को खारिज किया जाए और फांसी की सजा को बरकरार रखा जाए। सरकार का कहना है कि हिमायत बेग के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने के बावजूद हाईकोर्ट ने उसको बरी कर दिया था। हिमायत इस समय जेल में बंद है।
गौरतलब है कि मिर्ज़ा हिमायत बेग को आतंकी गतिविधियों के तहत दोषी मानते हुए विशेष अदालत ने मौत की सज़ा सुनाई थी, जबकि बॉम्बे हाई कोर्ट ने हिमायत बेग को आतंकी गतिविधियों से बरी कर दिया था, वहीं विस्फोटक रखने के लिए एक्सप्लोसिव सब्सटांस एक्ट के तहत दोषी मानते हुए उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी।
जर्मन बेकरी ब्लास्ट, 2010 में 17 लोगों की मौत हो गई थी और 50 लोग घायल हो गए थे। अप्रैल 2013 में जब विशेष अदालत ने उसको मौत की सज़ा सुनाई थी तो उस समय वह अदालत में ही रो पड़ा था और कहा था कि वह निर्दोष है। इतना ही नहीं उसने यह भी कहा था कि वह बम ब्लास्ट का 18 वां पीड़ित है। हालांकि इस मामले की जांच कर रही महाराष्ट्र ATS ने उसे मास्टरमाइंड बताया था।
इस मामले में एकमात्र दोषी मिर्ज़ा हिमायत बेग को बॉम्बे हाई कोर्ट ने आतंकी गतिविधियों, साजिश, हत्या, गैर-कानूनी गतिविधियों के आरोप से से बरी कर दिया था, वहीं विस्फोटक अधिनियम के तहत फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था।
महाराष्ट्र सरकार ने अपील में कहा है कि बेग के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को खारिज किया जाए और फांसी की सजा को बरकरार रखा जाए। सरकार का कहना है कि हिमायत बेग के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने के बावजूद हाईकोर्ट ने उसको बरी कर दिया था। हिमायत इस समय जेल में बंद है।
गौरतलब है कि मिर्ज़ा हिमायत बेग को आतंकी गतिविधियों के तहत दोषी मानते हुए विशेष अदालत ने मौत की सज़ा सुनाई थी, जबकि बॉम्बे हाई कोर्ट ने हिमायत बेग को आतंकी गतिविधियों से बरी कर दिया था, वहीं विस्फोटक रखने के लिए एक्सप्लोसिव सब्सटांस एक्ट के तहत दोषी मानते हुए उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी।
जर्मन बेकरी ब्लास्ट, 2010 में 17 लोगों की मौत हो गई थी और 50 लोग घायल हो गए थे। अप्रैल 2013 में जब विशेष अदालत ने उसको मौत की सज़ा सुनाई थी तो उस समय वह अदालत में ही रो पड़ा था और कहा था कि वह निर्दोष है। इतना ही नहीं उसने यह भी कहा था कि वह बम ब्लास्ट का 18 वां पीड़ित है। हालांकि इस मामले की जांच कर रही महाराष्ट्र ATS ने उसे मास्टरमाइंड बताया था।
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