
- सुप्रीम कोर्ट ने गढ़चिरोली आगजनी मामले में ट्रायल में हो रही देरी पर गंभीर चिंता जताई और कारण पूछा.
- अदालत ने पूछा कि बिना ट्रायल के किसी व्यक्ति को कितने साल हिरासत में रखा जा सकता है.
- महाराष्ट्र सरकार से ट्रायल में देरी, लंबित डिस्चार्ज आवेदन और अभियोजन योजना पर विस्तृत जानकारी मांगी गई है.
गढ़चिरोली आगजनी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने एक्टिविस्ट सुरेंद्र गाडलिंग के खिलाफ 2016 के में ट्रायल की कार्यवाही में हो रही देरी पर चिंता जताई. जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की बेंच ने पूछा कि क्या किसी व्यक्ति को कई सालों तक विचाराधीन कैदी के तौर पर हिरासत में रखा जा सकता है?
जस्टिस माहेश्वरी ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूछा लेकिन ट्रायल क्यों नहीं हो रहा? आप बिना ट्रायल के किसी व्यक्ति को कितने सालों तक हिरासत में रखेंगे? ASG राजू ने कहा कि देरी के लिए अभियोजन नहीं बल्कि आरोपी खुद जिम्मेदार है. ASG ने दलील दी कि गाडलिंग ने आरोपमुक्त करने के लिए आवेदन किया था. लेकिन वह कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की अनुमति न मिलने तक इस पर बहस करने से मना कर रहा है.
ASG राजू ने कहा कि सुरक्षा कारणों से उन्हें कोर्ट में पेश नहीं किया जा सकता. बेंच ने पूछा कि अगर आवेदक सहयोग नहीं करता है तो आरोपमुक्त करने का आवेदन खारिज क्यों नहीं किया जा सकता और इस आधार पर ट्रायल क्यों रोका जाना चाहिए. इसका फैसला कर लें. अगर वे बहस नहीं कर रहे हैं, तो फैसला कर लें. यह भी बताएं कि वे बहस करने से मना कर रहे हैं. बेंच ने राज्य से देरी के कारणों का स्पष्टीकरण देते हुए एक बयान दाखिल करने को कहा और सुनवाई स्थगित कर दी.
गाडलिंग के वकील वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने कहा कि राज्य फरार आरोपियों के मामले में ट्रायल को अलग नहीं कर रहा है, इस पर भी बेंच ने स्पष्टीकरण मांगा.
राज्य से मांगी गई जानकारी इस प्रकार है
1. ट्रायल में देरी का क्या कारण है- अभियोजन एजेंसी इसे संक्षिप्त में बताए.
2. डिस्चार्ज के लिए आवेदन लंबित हैं - एक हलफनामे में न निपटाने का कारण भी बताया जाए.
3. अभियोजन की योजना - वे किस तरह से ट्रायल आगे बढ़ाएंगे और अभी तक गिरफ्तार नहीं किए गए अन्य सह-आरोपियों के साथ ट्रायल कैसे होगा, यह भी स्पष्ट किया जाए.
4. यह भी बताया जाए कि अभियोजन ट्रायल कितने समय में पूरा करेगा.
इस मामले की अगली सुनवाई 28/29 अक्टूबर को होगी. कोर्ट गड़लिंग की अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्होंने 2016 के गढ़चिरौली सूरजगढ़ आगजनी मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के उन्हें जमानत देने से इनकार करने के आदेश को चुनौती दी थी. गड़लिंग माओवादी संबंधों के आरोप में एनआईए द्वारा यूएपीए के तहत भायमा कोरेगांव मामले में जून 2018 से हिरासत में है. उसपर महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की इटापल्ली तहसील में सूरजगढ़ खदान से आयरन ओर ले जा रहे 80 से अधिक वाहनों को जलाने की माओवादियों की साजिश में शामिल होने का आरोप है.
अभियोजन का आरोप है कि गड़लिंग ने अन्य आरोपियों को वाहनों में आग लगाने और घटना में संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का निर्देश दिया था. गड़लिंग 2018 के भायमा कोरेगांव-एलगार परिषद हिंसा मामले में भी आरोपी है.
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