पीएम मोदी पर टिप्पणी करने के मामले में कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा की अंतरिम जमानत बरकरार रहेगी. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 17 मार्च को सुनवाई करेगा. SC ने पवन खेड़ा की अंतरिम जमानत 17 मार्च तक बढ़ाई है. उत्तर प्रदेश और असम राज्य की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस मामले में हलफनामा दाखिल कर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो FIR क्लब करने की याचिका पर 17 मार्च को सुनवाई करेगा.
इससे पहले, मामले में असम पुलिस और यूपी पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. असम पुलिस ने पवन खेड़ा को अंतरिम जमानत देने के फैसले को रद्द करने की मांग की और कहा कि अपराध करने के बाद कोई माफी नहीं मांगी जा सकती है. केवल उनके वकील ने कहा है कि पवन खेड़ा ने माफी मांगी है. खेड़ा ने खुद माफी नहीं मांगी है. माफी मांगने की इस अदालत में की गई बात बिना किसी वास्तविक पछतावे या पश्चाताप के एक सुरक्षात्मक आदेश प्राप्त करने की रणनीति प्रतीत होती है. आपराधिक मामले की जांच चल रही है और ऐसे में खेड़ा कानून में दूसरे उपायों के लिए कदम उठा सकते हैं.
अभियोजन पक्ष यानी उत्तर प्रदेश और असम पुलिस के जवाबी हलफनामे में कहा गया है कि दावे के मुताबिक पवन खेड़ा ने माफी नहीं मांगी थी. ये एक अपराधिक कृत्य था और इसमें माफी का कोई तुक नहीं होता. कोर्ट में मामले की सुनवाई के बाद भी उस राजनीतिक पार्टी ने सोशल मीडिया पर अभियान चलाया. इनको अंतरिम जमानत या संरक्षण खत्म किया जाना चाहिए. कानून में मौजूद कई विकल्पों में से ये अपने लिए समुचित विकल्प अपना कर ये अपना बचाव कर सकते हैं.
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