नई दिल्ली:
सर्वोच्च न्यायालय ने दंत चिकित्सक दम्पति राजेश व नूपुर तलवार की वह याचिका मंगलवार को खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने न्यायालय से सीबीआई को यह निर्देश देने की मांग की थी कि जिन लोगों के नाम सीबीआई के गवाहों की सूची से हटा दिए गए हैं, उनसे पूछताछ की जाए।
आरुषि-हेमराज हत्याकांड की सुनवाई कर रही विशेष सीबीआई अदालत द्वारा बयान दर्ज किए जाने से पहले ही 14 गवाहों के नाम सीबीआई की सूची से हटा दिए गए थे।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बीएस चौहान और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की पीठ ने तलवार दम्पति की याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा, हम सीबीआई या अभियोजक एजेंसी को खास गवाहों से पूछताछ करने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। यह उनका विशेषाधिकार है।
तलवार दम्पति की ओर से पेश हुए अधिवक्ता राजीव नंदा ने जब याचिका स्वीकार करने के लिए दबाव बनाया तो न्यायालय ने कहा, जब आपकी बारी आए, तो आप उन्हें बचाव पक्ष के गवाह के रूप में बुला सकते हैं। आपको ऐसा करने से रोकने के लिए कोई कानून नहीं है। इसमें जल्दबाजी की कोई आवश्यकता नहीं है।
जब नंदा ने तलवार दम्पति के घर के बारे में विवरण पेश करने की कोशिश की, जहां दोहरा हत्याकांड हुआ था, तो न्यायालय ने कहा, हम यहां किसी संक्षिप्त सुनवाई के लिए और आपको कोई प्रमाण पत्र जारी करने के लिए नहीं हैं। आपको सिर्फ उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली अपनी याचिका को लेकर चिंता है।
ज्ञात हो कि इस महीने के प्रारम्भ में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तलवार दम्पति की वह याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने सीबीआई को यह निर्देश देने की मांग की थी कि वह उन गवाहों से पूछताछ करे, जिनके नाम सीबीआई ने अपनी मर्जी से सूची से हटा दिए हैं।
आरुषि (14) की तलवार दम्पति के नोएडा स्थिति घर में 16 मई, 2008 को क्रूरता से हत्या कर दी गई थी। इस हत्या में घरेलू नौकर हेमराज के शामिल होने पर संदेह था, लेकिन उसके अगले दिन घर की छत पर उसे भी मृत अवस्था में पाया गया था।
आरुषि-हेमराज हत्याकांड की सुनवाई कर रही विशेष सीबीआई अदालत द्वारा बयान दर्ज किए जाने से पहले ही 14 गवाहों के नाम सीबीआई की सूची से हटा दिए गए थे।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बीएस चौहान और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की पीठ ने तलवार दम्पति की याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा, हम सीबीआई या अभियोजक एजेंसी को खास गवाहों से पूछताछ करने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। यह उनका विशेषाधिकार है।
तलवार दम्पति की ओर से पेश हुए अधिवक्ता राजीव नंदा ने जब याचिका स्वीकार करने के लिए दबाव बनाया तो न्यायालय ने कहा, जब आपकी बारी आए, तो आप उन्हें बचाव पक्ष के गवाह के रूप में बुला सकते हैं। आपको ऐसा करने से रोकने के लिए कोई कानून नहीं है। इसमें जल्दबाजी की कोई आवश्यकता नहीं है।
जब नंदा ने तलवार दम्पति के घर के बारे में विवरण पेश करने की कोशिश की, जहां दोहरा हत्याकांड हुआ था, तो न्यायालय ने कहा, हम यहां किसी संक्षिप्त सुनवाई के लिए और आपको कोई प्रमाण पत्र जारी करने के लिए नहीं हैं। आपको सिर्फ उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली अपनी याचिका को लेकर चिंता है।
ज्ञात हो कि इस महीने के प्रारम्भ में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तलवार दम्पति की वह याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने सीबीआई को यह निर्देश देने की मांग की थी कि वह उन गवाहों से पूछताछ करे, जिनके नाम सीबीआई ने अपनी मर्जी से सूची से हटा दिए हैं।
आरुषि (14) की तलवार दम्पति के नोएडा स्थिति घर में 16 मई, 2008 को क्रूरता से हत्या कर दी गई थी। इस हत्या में घरेलू नौकर हेमराज के शामिल होने पर संदेह था, लेकिन उसके अगले दिन घर की छत पर उसे भी मृत अवस्था में पाया गया था।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
आरुषि केस, राजेश तलवार, नूपुर तलवार, सुप्रीम कोर्ट, Aarushi, Aarushi Hemraj Double Murder, Aarushi Murder Case, Nupur Talwar, Rajesh Talwar, Supreme Court