
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अदालत के आदेश की अवमानना के एक मामले की सुनवाई की. यह आंध्र प्रदेश का मामला था. अदालत ने हैदराबाद की झुग्गियों को न गिराने के 2013 के आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश की जानबूझकर अवहेलना करने के लिए राज्य के एक अधिकारी को फटकार लगाई. अदालत ने अधिकारी से पूछा, "आपने अदालत के आदेशों का उल्लंघन करने के लिए 80 पुलिसकर्मियों को साथ लिया? आपने जानबूझकर अदालत के आदेशों की अवहेलना की?"
"खुद को उच्च न्यायालय से ऊपर समझता है?"
न्यायमूर्ति बीआर गवई अगले महीने मुख्य न्यायाधीश संजीव कुमार का स्थान लेंगे. न्यायमूर्ति गवई ने कहा, "यदि कोई उच्च न्यायालय की गरिमा के साथ खिलवाड़ कर रहा है... तो हम उसे तुरंत गिरफ्तार कर लेंगे. क्या वह (आंध्र प्रदेश का वह अधिकारी, जिसने डिमोलिशन का नेतृत्व किया) खुद को उच्च न्यायालय से ऊपर समझता है? जो लोग कानून का सम्मान नहीं करते, उनके लिए कोई रियायत नहीं." उन्होंने पूछा, "उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद झुग्गियों को कैसे ध्वस्त कर दिया गया?" न्यायमूर्ति गवई झुग्गी निवासियों के अधिकारों पर 2013 के आदेश का उल्लेख कर रहे थे.
सर्वोच्च न्यायालय उस विध्वंस में शामिल राज्य सरकार के एक अधिकारी की याचिका पर जवाब दे रहा था, जो अब जेल में है और उस पर न्यायालय की अवमानना का आरोप है. अधिकारी ने उस आरोप के खिलाफ राहत के लिए शीर्ष न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. सुनवाई के दौरान, अधिकारी ने पारिवारिक जिम्मेदारियों का हवाला देते हुए जेल से रिहा करने की मांग की.
अधिकारी ने अपने बच्चों का दिया हवाला
अधिकारी के वकील ने कहा, "वह तहसीलदार (भूमि राजस्व अधिकारी) था और यह घटना उस समय हुई, जब आंध्र प्रदेश के विभाजन को लेकर विरोध प्रदर्शन चल रहे थे. उसके दो बच्चे हैं..और, अगर वह 48 घंटे से अधिक समय तक जेल में रहा, तो उसकी नौकरी चली जाएगी." इस पर अदालत ने कहा, "क्या उन्होंने उन बच्चों के बारे में सोचा, जिनके घर उन्होंने गिराए? उन बच्चों के बारे में क्या? उन्होंने 2013 में उच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन करने का साहस किया..."
"अब उनका काम वीआईपी का स्वागत करना..."
अधिकारी के वकील ने यह भी बताया कि उनके मुवक्किल की भूमिका तब से बदल गई है, उन्होंने तर्क दिया, "अब वे राज्य सरकार के प्रोटोकॉल निदेशक हैं..." इस पर अदालत ने कहा, "तो अब उनका काम वीआईपी का स्वागत करना और झुग्गियों को गिराकर सड़कें साफ करना है? उन्हें जेल में रहना चाहिए और राज्य के आतिथ्य का आनंद लेना चाहिए. या फिर हम भारी जुर्माना लगा सकते हैं, जिनके घर उन्होंने गिराए हैं... और हम उन्हें डिमोट कर सकते हैं. उनसे पूछें कि क्या वे फिर से तहसीलदार बनना चाहते हैं..." फिर भी, इन तीखी टिप्पणियों के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह याचिका पर सुनवाई करेगा.
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