किसान महापंचायत की जंतर मंतर पर प्रदर्शन की इजाजत की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई बंद कर दी. कोर्ट ने कहा कि किसान आंदोलन का मुद्दा खत्म हो चुका है. लिहाजा इस याचिका में अब कुछ बचा नहीं है. हालांकि आगे के धरना-प्रदर्शन के लिए संगठन दिल्ली हाईकोर्ट जा सकते हैं.
2021 में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस के एम जोसेफ और जस्टिस ह्रषिकेश रॉय की बेंच ने किसान संगठन पर सवाल उठाए थे और कहा था कि आप जंतर मंतर पर ही क्यों विरोध करना चाहते हैं. आपके पास इसके लिए कौन सा कानूनी अधिकार है? जहां तक हमें पता है जंतर मंतर के आसपास रिहायशी इलाका है और यहां सफाई आदि की समस्या हो सकती है. आप ही नहीं और भी सैंकड़ों लोग होंगे जो वहां धरना देना चाहते होंगे. वैसे भी इस मामले में अब कुछ नहीं बचा है. ऐसे में ये कहा जा सकता है कि अगर ऐसी स्थिति उत्पन्न हो तो अदालत आ सकते हैं.
लेकिन संगठन के वकील ने कहा था कि ये मामला निष्प्रभावी नहीं हुआ है, सुप्रीम कोर्ट को तय करना चाहिए. वहीं केंद्र की ओर से कहा गया था कि किसान आंदोलन खत्म हो चुका है. ये मामला अभी नहीं बनता.
दरअसल अक्टूबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की मांग करने वाले किसानों (किसान महापंचायत) के रुख पर आपत्ति जताई थी, जो अदालतों में कानूनों की वैधता को चुनौती देने के बावजूद विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने किसान महापंचायत संगठन पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि लंबे समय से विरोध कर रहे किसानों ने पूरे शहर का गला घोंट दिया है और अब शहर के अंदर आकर उत्पात मचाना चाहते हैं. क्या शहर के लोग अपना कारोबार बंद कर दें या आपके प्रदर्शन से लोग खुश होंगे?
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि एक बार कानूनों को अदालतों में चुनौती देने के बाद विरोध करने वाले किसानों को विरोध जारी रखने के बजाय व्यवस्था और अदालतों में अपना विश्वास करना चाहिए. आपको प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन राजमार्गों को ब्लॉक कर लोगों को परेशानी में नहीं डाल सकते हैं. पहले आप शहर के बाहर सड़कों को अवरोध किया और अब आप शहर के भीतर आना चाहते हैं.
जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की थी. पीठ ने कहा कि प्रदर्शन कर रहे किसान यातायात बाधित कर रहे हैं, ट्रेनों और राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध कर रहे हैं. सुरक्षा कर्मियों को निशाना बना रहे हैं, सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और फिर भी प्रदर्शन करने की मांग के लिए याचिका दायर कर रहे हैं. ऐसे में प्रदर्शन करने की इजाजत कैसे दी जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता किसान महापंचायत संगठन से कहा था पहले आप हलफनामा दायर कर बताए कि फिलहाल सीमाओं पर बैठे प्रदर्शकारियों से आपका कोई संबंध तो नहीं है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि वह राष्ट्रीय राजधानी में तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों द्वारा सड़क की 'नाकेबंदी' को हटाने के लिए क्या कर रही है? शीर्ष अदालत ने एक बार फिर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि सड़कों को हमेशा के लिए कब्जा नहीं किया जा सकता.
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि किसी समस्या का समाधान न्यायिक मंच, आंदोलन या संसदीय बहस के माध्यम से किया जा सकता है , लेकिन सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है और ये एक स्थायी समस्या नहीं हो सकती है.
पीठ ने कहा था कि हम पहले ही कानून बना चुके हैं और आपको इसे लागू करना होगा. अगर हम अतिक्रमण करते हैं तो आप कह सकते हैं कि हमने आपके अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण किया है. कुछ शिकायतें हैं, जिनका निवारण किया जाना चाहिए.
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