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This Article is From Jun 03, 2022

संरक्षित वनों और पार्क के 1 किमी के दायरे में नहीं होनी चाहिए फैक्ट्री या खनन- पर्यावरण संरक्षण पर SC का आदेश

प्रत्येक राज्य के मुख्य वन संरक्षक ESZ के तहत मौजूदा संरचनाओं की एक सूची तैयार करेंगे और 3 महीने की अवधि के भीतर सुप्रीम कोर्ट को सौंपेंगे

संरक्षित वनों और पार्क के 1 किमी के दायरे में नहीं होनी चाहिए फैक्ट्री या खनन- पर्यावरण संरक्षण पर SC का आदेश
पर्यावरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
नई दिल्ली:

पर्यावरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है.  देशभर के संरक्षित वनों,  वन्यजीव अभयारण्यों और नेशनल पार्कों के आसपास 1 किमी का  पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) होगा. ESZ में आगे माइनिंग या पक्के निर्माण की इजाजत नहीं होगी. ESZ सीमा के भीतर जो गतिविधियां चल रही हैं, उन्हें केवल मुख्य वन संरक्षक की अनुमति से ही चलाया जाएगा. यदि ESZ पहले से ही निर्धारित है जो 1 किमी बफर जोन से आगे है तो ऐसी विस्तारित सीमा ही मानी जाएगी.

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प्रत्येक राज्य के मुख्य वन संरक्षक ESZ के तहत मौजूदा संरचनाओं की एक सूची तैयार करेंगे और 3 महीने की अवधि के भीतर सुप्रीम कोर्ट को सौंपेंगे. वन्यजीव अभयारण्यों और नेशनल पार्कों  के ESZ में किसी भी तरह माइनिंग की इजाजत नहीं दी जाएगी. इस किसी भी उद्देश्य के लिए कोई नई स्थायी संरचना की अनुमति नहीं दी जाएगी.

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देशभर में ESZ और उसके आसपास गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने  निर्देश जारी किए. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच का फैसला है. टीएन गोदावरमन मामले में संरक्षित वनों और नेशनल पार्कों को लेकर अर्जियों पर फैसला सुनाया. 


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