प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन डेटा पर निगरानी करने के लिए सोशल मीडिया हब के गठन के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के निर्णय पर सख्त रूख अपनाते हुए शुक्रवार को पूछा कि क्या सरकार लोगों के व्हाट्सएप संदेशों को टैप करके ‘निगरानी राज’ चाहती है. सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस के एक विधायक की जनहित याचिका पर सुनवाई पर सहमत हुई जिसमें सवाल उठाया गया कि क्या सरकार व्हाट्सएप या अन्य सोशल मीडिया मंचों पर लोगों के संदेशों को टैप करना चाहती है.
सोशल मीडिया कम्युनिकेशन हब गठित करने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से दो हफ्ते में मांगा जवाब
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा , जस्टिस ए एम खानविलकर एवं जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने तृणमूल कांग्रेस के विधायक महुआ मोइत्रा की याचिका पर केन्द्र को नोटिस जारी किया. साथ ही इस मामले में अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल से सहयोग मांगा. पीठ ने पूछा , ‘क्या सरकार नागरिकों के व्हाट्सएप संदेशों को टैप करना चाहती है ? यह निगरानी राज बनाने जैसा होगा. मोइत्रा की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने कहा कि सरकार ने आवेदन मंगाए हैं और एक साफ्टवेयर के लिये निविदा 20 अगस्त को खुलेगी जो व्हाट्सएप , ट्विटर , इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों की पूरी तरह निगरानी करेगा.
WhatsApp पर फॉरवर्ड किए गए मैसेज को पहचानना हुआ आसान
सिंघवी ने कहा , ‘वे सोशल मीडिया हब के जरिए सोशल मीडिया की विषयवस्तु की निगरानी करना चाहते हैं.’ इस पर पीठ ने कहा कि वह 20 अगस्त को टेंडर खुलने के पहले इस मामले को तीन अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर रही है और अटॉर्नी जनरल अथवा सरकार का कोई भी विधिक अधिकारी इस मामले में न्यायालय की सहायता करेगा. इससे पहले 18 जून को शीर्ष अदालत ने याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार किया था जिसमें सोशल मीडिया कम्यूनिकेशन हब बनाने के केन्द्र सरकार के कदम पर रोक लगाने की मांग की गई थी जो डिजिटल तथा सोशल मीडिया की विषयवस्तु को एकत्र कर उसका विश्लेषण करेगा.
VIDEO: मुकाबला : क्या ट्रोल्स तय करेंगे 2019 के मुद्दे?
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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सिंघवी ने कहा , ‘वे सोशल मीडिया हब के जरिए सोशल मीडिया की विषयवस्तु की निगरानी करना चाहते हैं.’ इस पर पीठ ने कहा कि वह 20 अगस्त को टेंडर खुलने के पहले इस मामले को तीन अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर रही है और अटॉर्नी जनरल अथवा सरकार का कोई भी विधिक अधिकारी इस मामले में न्यायालय की सहायता करेगा. इससे पहले 18 जून को शीर्ष अदालत ने याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार किया था जिसमें सोशल मीडिया कम्यूनिकेशन हब बनाने के केन्द्र सरकार के कदम पर रोक लगाने की मांग की गई थी जो डिजिटल तथा सोशल मीडिया की विषयवस्तु को एकत्र कर उसका विश्लेषण करेगा.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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