नई दिल्ली:
उच्चतम न्यायालय ने केरल तट पर दो भारतीय मछुआरों की गोली मारकर हत्या करने के आरोपी दो इतालवी मरीनों को इटली में आम चुनाव में वोट डालने के लिए स्वदेश जाने की अनुमति दे दी।
प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि आरोपी मरीन- मैसिमिलिआनो लातोर और सल्वातोर गिरोन 24 और 25 फरवरी को हो रहे चुनाव में मतदान करने के लिए भारत में इटली के राजदूत के निगरानी और हिरासत के तहत स्वदेश जाएंगे।
पीठ में न्यायमूर्ति एआर दवे और न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन भी शामिल थे। पीठ ने दोनों मरीनों और इटली सरकार के इस आवेदन के स्वीकार कर लिया कि उन्हें चार हफ्ते के लिए इटली जाने की अनुमति प्रदान की जाए। न्यायालय ने कहा, हम निवेदन स्वीकार करने को तैयार हैं। पीठ ने इतालवी राजदूत से इटली गणराज्य की ओर से एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करने को कहा।
आवेदन स्वीकार करते हुए पीठ ने उल्लेख किया कि इतालवी कानून के तहत मरीन डाक के जरिये अपना वोट नहीं डाल सकते। पीठ ने कहा कि मरीनों को केवल इटली जाने और केवल वहीं रहने की अनुमति है तथा उन्हें भारत लौटना होगा। सुनवाई के दौरान न्यायालय को बताया गया कि केरल के कोल्लम स्थित निचली अदालत ने शीर्ष न्यायालय के निर्देश के अनुरूप दोनों मरीनों के पासपोर्ट गृह मंत्रालय को नहीं सौंपे हैं।
पीठ को बताया गया कि 16 फरवरी को पासपोर्ट मेल किए गए थे और ये अभी गृह मंत्रालय को नहीं मिले हैं। तथ्य पर विचार करते हुए पीठ ने अनुमति दी कि यदि पासपोर्ट नहीं मिलते हैं, तो मरीन अस्थायी दस्तावेजों पर यात्रा कर सकते हैं और गृह मंत्रालय इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अधिकारियों तथा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षाबल (सीआईएसएफ) को इस आदेश के बारे में सूचित करेगा।
पिछले साल 15 फरवरी को इन इतालवी मरीनों ने दो भारतीय मछुआरों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मरीन इतालवी जहाज 'एनरिका लेक्सी' पर सवार थे। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि 18 जनवरी के इसके आदेश के अनुरूप मरीनों को भारत छोड़ने से पहले तथा वापस भारत पहुंचने के बाद चाणक्यपुरी पुलिस थाने में रिपोर्ट करनी होगी।
उच्चतम न्यायालय ने 18 जनवरी को इटली सरकार के इस आग्रह को खारिज कर दिया था कि मामला भारतीय अदालतों के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। इसने फैसला दिया था कि केंद्र को इन मरीनों पर मुकदमा चलाने के लिए विशेष अदालत का गठन करना चाहिए। इसने निर्देश दिया था कि दोनों मरीनों को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया जाए और जब तक विशेष अदालत का गठन नहीं होता, तब तक वे इसकी हिरासत में रहेंगे। न्यायालय ने कहा था कि दोनों विदेशी मरीनों पर मुकदमा चलाना केरल सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता और यह प्रधान न्यायाधीश से सलाह के बाद स्थापित होने वाली विशेष अदालत में केंद्र द्वारा चलाया जाएगा।
प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि आरोपी मरीन- मैसिमिलिआनो लातोर और सल्वातोर गिरोन 24 और 25 फरवरी को हो रहे चुनाव में मतदान करने के लिए भारत में इटली के राजदूत के निगरानी और हिरासत के तहत स्वदेश जाएंगे।
पीठ में न्यायमूर्ति एआर दवे और न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन भी शामिल थे। पीठ ने दोनों मरीनों और इटली सरकार के इस आवेदन के स्वीकार कर लिया कि उन्हें चार हफ्ते के लिए इटली जाने की अनुमति प्रदान की जाए। न्यायालय ने कहा, हम निवेदन स्वीकार करने को तैयार हैं। पीठ ने इतालवी राजदूत से इटली गणराज्य की ओर से एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करने को कहा।
आवेदन स्वीकार करते हुए पीठ ने उल्लेख किया कि इतालवी कानून के तहत मरीन डाक के जरिये अपना वोट नहीं डाल सकते। पीठ ने कहा कि मरीनों को केवल इटली जाने और केवल वहीं रहने की अनुमति है तथा उन्हें भारत लौटना होगा। सुनवाई के दौरान न्यायालय को बताया गया कि केरल के कोल्लम स्थित निचली अदालत ने शीर्ष न्यायालय के निर्देश के अनुरूप दोनों मरीनों के पासपोर्ट गृह मंत्रालय को नहीं सौंपे हैं।
पीठ को बताया गया कि 16 फरवरी को पासपोर्ट मेल किए गए थे और ये अभी गृह मंत्रालय को नहीं मिले हैं। तथ्य पर विचार करते हुए पीठ ने अनुमति दी कि यदि पासपोर्ट नहीं मिलते हैं, तो मरीन अस्थायी दस्तावेजों पर यात्रा कर सकते हैं और गृह मंत्रालय इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अधिकारियों तथा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षाबल (सीआईएसएफ) को इस आदेश के बारे में सूचित करेगा।
पिछले साल 15 फरवरी को इन इतालवी मरीनों ने दो भारतीय मछुआरों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मरीन इतालवी जहाज 'एनरिका लेक्सी' पर सवार थे। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि 18 जनवरी के इसके आदेश के अनुरूप मरीनों को भारत छोड़ने से पहले तथा वापस भारत पहुंचने के बाद चाणक्यपुरी पुलिस थाने में रिपोर्ट करनी होगी।
उच्चतम न्यायालय ने 18 जनवरी को इटली सरकार के इस आग्रह को खारिज कर दिया था कि मामला भारतीय अदालतों के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। इसने फैसला दिया था कि केंद्र को इन मरीनों पर मुकदमा चलाने के लिए विशेष अदालत का गठन करना चाहिए। इसने निर्देश दिया था कि दोनों मरीनों को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया जाए और जब तक विशेष अदालत का गठन नहीं होता, तब तक वे इसकी हिरासत में रहेंगे। न्यायालय ने कहा था कि दोनों विदेशी मरीनों पर मुकदमा चलाना केरल सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता और यह प्रधान न्यायाधीश से सलाह के बाद स्थापित होने वाली विशेष अदालत में केंद्र द्वारा चलाया जाएगा।
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