राजद्रोह की धारा (Sedition law) का परीक्षण करने को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तैयार हो गया है. SC ने Indian Penal Code (IPC) की धारा 124 ए की वैधता की जांच करने का फैसला किया है. जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस
इंदिरा बनर्जी और जस्टिस केएम जोसेफ की तीन जजों वाली बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा. सुप्रीम कोर्ट ने दो पत्रकारों मणिपुर के किशोरचंद्र वांगखेम और छत्तीसगढ़ के कन्हैया लाल शुक्ला की याचिका पर यह नोटिस जारी किया है जिसमें बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताते हुए इस प्रावधान को चुनौती दी गई थी. हालांकि तीन वकीलों की इसी तरह की याचिका को खारिज किए जाने के 3 महीने बाद यह कदम उठाया गया है.
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दोनों पत्रकारों पर संबंधित राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के खिलाफ सवाल उठाने पर धारा 124 ए के तहत मामला दर्ज किया गया है. सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर उनके द्वारा साझा की गई टिप्पणियों और कार्टून के लिए उनके खिलाफ धारा 124 ए के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट को 1962 के संविधान पीठ के उस फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए] जिसमें राजद्रोह को बरकरार रखा जाना चाहिए.
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