सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय चार मार्च 2014 से ही जेल में हैं (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट से सहारा प्रमुख सुब्रत राय के वकीलों ने उन्हें पैरोल पर छोड़ने की मांग करते हुए कहा कि जेल में रॉय की तबीयत बिगड़ती जा रही है और वह जेल में यह गर्मी नहीं झेल पाएंगे। हालांकि कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में उनका अनुरोध खारिज दिया। कोर्ट ने साथ सहारा समूह को अपनी सारी संपत्तियों का विस्तृत ब्योरा मोहर-बंद लिफाफे में देने का निर्देश दिया, ताकि यह पता लग सके कि क्या ये संपत्तियां निवेशकों को पूरा पैसा लौटाने के लिए पर्याप्त हैं।
मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सहारा प्रमुख को पैरोल पर रिहा करने की इजाजत देने से इनकार करते हुए कहा कि अब तक उसके आदेश का अनुपालन 'मूलत:' नहीं किया गया है। इस पीठ में न्यायाधीश ए आर दवे और न्यायाधीश ए के सिकरी भी हैं। रॉय चार मार्च 2014 से जेल में हैं।
सहारा समूह की पूरी संपत्ति का ब्योरा मांगा
पीठ ने कहा, 'हमें सहारा समूह की पूरी संपत्ति के बारे में जानना चाहिए। आखिर उनके पास कितनी संपत्ति है, हमें जानना चाहिए। फिलहाल समूह की 66 संपत्तियों की बिक्री होनी है, जिससे करीब 6,000 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे।' सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'यह रॉय की जमानत के लिए पर्याप्त हो सकती है, लेकिन इससे निवेशकों का पूरा धन चुकता नहीं हो पाएगा। हम चाहते हैं कि जो बाकी संपत्तियां हैं उन्हें भी सामने लाया जाए। इसीलिए आप संपत्ति की सूची सौंपे।'
जेल में यह गर्मी नहीं झेल पाएंगे सुब्रत रॉय
वहीं सहारा की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने रॉय की सेहत में 'गिरावट' की बात उठाई और उनको जेल से छोड़ने का अनुरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि बाजार नियामक सेबी को 66 संपत्तियां बेचने के लिए अधिकृत किया जा चुका है। धवन ने कहा, 'न्यायालय को उनके मुवक्किल को पैरोल पर छोड़ने का विचार करना चाहिए या उसे घर में नजरबंद करने का अदेश देना चाहिए। मुझे इस न्यायालय के आदेशों के अनुपालन के लिए पकड़ा गया है और मुझे किसी अन्य अपराध के लिए नहीं पकड़ा गया है। सेबी के पास संपत्ति और मशीनरी दोनों है- इस मौके पर कृपया सभी चीजों पर गौर करें और मुझे पैरोल दें। मेरे मुवक्किल का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है और हो सकता है वह जेल में गर्मी का एक और मौसम नहीं झेल पाएं।'
मामले की अगली सुनवाई 11 मई को होगी
इस पर पीठ ने कहा, 'जब तक निवेशकों का पैसा नहीं लौटाया जाता, हमें आदेश का पालन होता नहीं दिखता। किसी को जेल में रखना खुशी की बात नहीं है। परिस्थिति में बदलाव लाना होगा और हमारे आदेश का ठोस तरीके से पालन करना होगा।' जब पीठ ने सहारा की भारत और विदेशों में संपत्ति का ब्योरा मांगा, धवन ने इस बारे में निर्देश प्राप्त करने और बंद लिफाफे में संपत्ति की सूची न्यायालय को सौंपने के लिए दो हफ्ते का समय मांगा। इस मामले की अगली सुनवाई के लिये 11 मई की तारीख मुकर्रर की गई है।
इससे पहले, सेबी की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद पी दतार ने अदालत को सूचित किया कि बाजार नियामक ने सहारा समूह की संपत्ति बेचने के लिए न्यायाधीश बी एन अग्रवाल की सलाह से एसबीआई कैपिटल मार्केट्स और एचडीएफसी रीयल्टी की सेवा ली है। उन्होंने कहा कि 66 संपत्ति की बिक्री प्रक्रिया चार महीने में पूरी होगी और बिक्री प्रक्रिया का पहला चरण अगले हफ्ते शुरू होगा।
मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सहारा प्रमुख को पैरोल पर रिहा करने की इजाजत देने से इनकार करते हुए कहा कि अब तक उसके आदेश का अनुपालन 'मूलत:' नहीं किया गया है। इस पीठ में न्यायाधीश ए आर दवे और न्यायाधीश ए के सिकरी भी हैं। रॉय चार मार्च 2014 से जेल में हैं।
सहारा समूह की पूरी संपत्ति का ब्योरा मांगा
पीठ ने कहा, 'हमें सहारा समूह की पूरी संपत्ति के बारे में जानना चाहिए। आखिर उनके पास कितनी संपत्ति है, हमें जानना चाहिए। फिलहाल समूह की 66 संपत्तियों की बिक्री होनी है, जिससे करीब 6,000 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे।' सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'यह रॉय की जमानत के लिए पर्याप्त हो सकती है, लेकिन इससे निवेशकों का पूरा धन चुकता नहीं हो पाएगा। हम चाहते हैं कि जो बाकी संपत्तियां हैं उन्हें भी सामने लाया जाए। इसीलिए आप संपत्ति की सूची सौंपे।'
जेल में यह गर्मी नहीं झेल पाएंगे सुब्रत रॉय
वहीं सहारा की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने रॉय की सेहत में 'गिरावट' की बात उठाई और उनको जेल से छोड़ने का अनुरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि बाजार नियामक सेबी को 66 संपत्तियां बेचने के लिए अधिकृत किया जा चुका है। धवन ने कहा, 'न्यायालय को उनके मुवक्किल को पैरोल पर छोड़ने का विचार करना चाहिए या उसे घर में नजरबंद करने का अदेश देना चाहिए। मुझे इस न्यायालय के आदेशों के अनुपालन के लिए पकड़ा गया है और मुझे किसी अन्य अपराध के लिए नहीं पकड़ा गया है। सेबी के पास संपत्ति और मशीनरी दोनों है- इस मौके पर कृपया सभी चीजों पर गौर करें और मुझे पैरोल दें। मेरे मुवक्किल का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है और हो सकता है वह जेल में गर्मी का एक और मौसम नहीं झेल पाएं।'
मामले की अगली सुनवाई 11 मई को होगी
इस पर पीठ ने कहा, 'जब तक निवेशकों का पैसा नहीं लौटाया जाता, हमें आदेश का पालन होता नहीं दिखता। किसी को जेल में रखना खुशी की बात नहीं है। परिस्थिति में बदलाव लाना होगा और हमारे आदेश का ठोस तरीके से पालन करना होगा।' जब पीठ ने सहारा की भारत और विदेशों में संपत्ति का ब्योरा मांगा, धवन ने इस बारे में निर्देश प्राप्त करने और बंद लिफाफे में संपत्ति की सूची न्यायालय को सौंपने के लिए दो हफ्ते का समय मांगा। इस मामले की अगली सुनवाई के लिये 11 मई की तारीख मुकर्रर की गई है।
इससे पहले, सेबी की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद पी दतार ने अदालत को सूचित किया कि बाजार नियामक ने सहारा समूह की संपत्ति बेचने के लिए न्यायाधीश बी एन अग्रवाल की सलाह से एसबीआई कैपिटल मार्केट्स और एचडीएफसी रीयल्टी की सेवा ली है। उन्होंने कहा कि 66 संपत्ति की बिक्री प्रक्रिया चार महीने में पूरी होगी और बिक्री प्रक्रिया का पहला चरण अगले हफ्ते शुरू होगा।
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