
इस सप्ताह उत्तर प्रदेश प्रांतीय लोकसेवा (यूपीपीसीएस) परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने के खिलाफ इलाहाबाद में सैकड़ों छात्रों ने बुधवार को प्रदर्शन किया जिस दौरान शहर के कई हिस्सों में हिंसा हुई।
पीसीएस के दोनों पेपर रद्द करने और लीक मामले की सीबीआई जांच की मांग करने वाले प्रदर्शनकारी छात्रों को उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) मुख्यालय से कुछ मीटर पहले रोक दिया गया।
पुलिस के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार ने संवाददाताओं से कहा, ‘कुछ प्रदर्शनकारी अवरोधक के पास रोके जाने से बहुत अधिक उत्तेजित हो गए और सुरक्षाकर्मियों पर पथराव किया। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में कई वाहनों में तोड़फोड़ की और इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिसर के पास एक बस को आग लगा दी।
इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने भीड़ को काबू में करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया।’ एसएसपी ने कहा, ‘स्थानीय पुलिस, पीएसी और त्वरित कार्रवाई बल से प्राप्त संख्या में सुरक्षाकर्मियों की यूपीपीएससी इमारत के पास तैनाती की गई क्योंकि आशंका थी प्रदर्शनकारी हिंसक हो सकते हैं।’
यद्यपि कई प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि विश्वद्यालय परिसर के आसपास हिंसा की घटनाएं ‘सुरक्षाबलों की ज्यादती के चलते हुई जिन्होंने प्रदर्शनकारियों को यूपीपीएससी से कई सौ मीटर दूर हिंदू छात्रावास तक खदेड़ा, छात्रावास परिसर में घुस गए और कई छात्रों को उनके कमरे से निकालकर पीटा।’ स्थिति को बाद में काबू में किया गया और इस संबंध में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
रविवार को हुई पीसीएस परीक्षा के पेपर लीक मामले में यह हिंसा की दूसरी घटना थी। गत सोमवार को कई प्रदर्शनकारियों ने यूपीपीएससी अध्यक्ष अनिल यादव को हटाने, सीबीआई जांच और परीक्षा रद्द कराने की मांग को लेकर राज्य परिवहन की एक बस को आग लगा दी थी।
यूपीपीएससी ने परीक्षा के पहले पेपर को रद्द करने की घोषणा की जो लखनऊ में लीक हो गया था और जिसे अभ्यर्थियों ने वाट्सऐप पर साझा किया। यद्यपि बड़ी संख्या में अभ्यर्थी मांग कर रहे हैं कि दोनों पेपर की परीक्षा रद्द होनी चाहिए।
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