14 सितंबर से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र (Monsoon Session) में प्रश्नकाल (Question Hour) नहीं होगा. इसे लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद सरकार पर निशाना साधा रहे हैं. कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने बुधवार को कहा, "मैंने चार महीने पहले कहा था कि ताकतवर नेता लोकतंत्र और असहमति को दबाने के लिए महामारी का बहाना करेंगे. संसद सत्र के लिए अधिसूचना जारी की गई, जिसमें घोषणा की गई है कि प्रश्नकाल नहीं होगा. हमें सुरक्षित रखने नाम पर इसे ऐसे उचित ठहराया जा सकता है? जानिए क्या है प्रश्नकाल न होने की वजह
थरूर ने सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट में लिखा, "सरकार से सवाल करना संसदीय लोकतंत्र में ऑक्सीजन की तरह है. यह सरकार संसद को एक नोटिस बोर्ड तक सीमित करना चाहती है और अपने भारी बहुमत का रबर स्टैम्प की तरह इस्तेमाल करके जो भी चाहे संसद में पास कराना चाहती है. जवाबदेही को बढ़ावा देने वाले तंत्र को अब दूर कर दिया गया है."
2/2 Questioning the government is the oxygen of parliamentary democracy. This Govt seeks to reduce Parliament to a notice-board & uses its crushing majority as a rubber-stamp for whatever it wants to pass. The one mechanism to promote accountability has now been done away with.
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) September 2, 2020
बता दें कि 14 सितंबर से शुरू हो रहे मॉनसून सत्र में प्रश्न काल नहीं होगा. लोक सभा पहले दिन सुबह नौ बजे से दोपहर एक बजे तक बैठेगी. बाकी दिन दोपहर तीन बजे से शाम सात बजे तक बैठक होगी. इसी तरह राज्य सभा पहले दिन यानी 14 सितंबर को दोपहर तीन बजे से शाम सात बजे तक बैठेगी, लेकिन बाकी दिन सुबह नौ बजे दोपहर एक बजे तक बैठेगी. कोरोना वायरस महामारी को देखते में संसद की कार्यवाही में व्यापक बदलाव किए गए हैं. शून्यकाल बना रहेगा. शनिवार और रविवार छुट्टी नहीं होगी. 14 सितंबर से एक अक्तूबर तक कुल 18 बैठक होगी.
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