पीएम नरेंद्र मोदी और पोलैंड के पीएम टुस्क के बीच मुलाकात के बाद अपने संबोधन ने पीएम मोदी ने एक बार फिर कहा है कि समाधान रणभूमि में नहीं मिल सकता. उन्होंने कहा कि किसी भी संकट में मासूमों की जान की हानि पूरी मानवता के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गई है. उन्होंने मॉस्को दौरे में रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ मुलाकात के दौरान भी बच्चों की जान का जिक्र किया था. उस बात का संदर्भ कीव में बच्चों के अस्पताल पर हुए हमले का था और यूक्रेन दौरे पर आने से पहले उन्होंने फिर इसका जिक्र किया है.
पश्चिमी एशिया के साथ-साथ यूक्रेन का जिक्र करते हुए उन्होंने इस सभी क्षेत्र में शांति स्थापना पर जोर दिया. यानी यूक्रेन पहुंचने से पहले ही वे बार-बार इस बात को साफ कर रहे हैं कि उनके फोकस में क्या है. दूसरी तरफ पोलैंड के प्रधानमंत्री ने भी भारत को लोकतंत्र, क्षेत्रीय अखंडता आदि का सम्मान करने वाला देश कहा. उन्होंने कहा कि यूक्रेन-रूस युद्ध रोकने में भारत अहम भूमिका निभा सकता है. यूक्रेन के पड़ोसी देश के तौर पर पोलैंड भी युद्ध के बुरे असर को झेल रहा है. यूक्रेन से जान बचाकर निकले लाखों शरणार्थी यहां पर हैं. इसलिए पोलैंड की चिंता और उम्मीद खास मायने रखती है.
रणनीतिक साझीदारी पर सहमति बड़ी उपलब्धि
अगर द्विपक्षीय रिश्तों की बात करें तो भारत और पोलैंड अपने संबंधों को रणनीतिक साझीदारी के स्तर पर ले जाने को सहमत हो गए हैं और यह इस दौरे की बहुत बड़ी उपलब्धि है. रणनीतिक साझेदारी का मतलब ये है कि दोनों देश की उनकी कंपनियां अपनी व्यावसायिक साझेदारी में आपसी संसाधनों का साझा उपयोग करेंगे. इसमें आपस में कोई काम्पिटीशन नहीं होता बल्कि इससे जुड़े नफ़ा या नुकसान को दोनों देश और उनकी कंपनियां आपस में साझा करती हैं. उदाहरण के तौर पर दोनों देशों की दो कंपनियां उत्पादों को विकसित करने से लेकर उसकी आपूर्ति और वितरण को लेकर साझा रणनीति बना सकती हैं.
भारत के अब तक करीब 30 देशों के साथ जो संबंध हैं वह रणनीतिक साझीदारी के स्तर का हैं और पोलैंड इसमें शुमार हो गया है. पीएम मोदी ने क्लाइमेट चेंज और ग्रीन फ्यूचर के लिए भी दोनों देशों के संबंधों की महत्ता का जिक्र किया और फूड प्रोसेसिंग में पोलैंड की लीडरशिप का भी.
मध्य और पूर्वी यूरोप के लिए भारत की राह
पोलैंड मध्य यूरोप का बहुत प्रभावशाली देश है और यह मध्य और पूर्वी यूरोप के कई देशों तक पहुंच के लिए भारत का दरवाजा साबित हो सकता है. पीएम मोदी ने अगले साल पोलैंड के पास यूरोपीय संघ की अध्यक्षता आने का भी जिक्र किया. तो बदली हुई परिस्थिति और वैश्विक परिदृश्य में भारत और पोलैंड ने एक बहुत ही मजबूत कदम उठाया है जो आगे के संबंधों का बड़ा आधार बन सकता है.
पीएम मोदी ने टॉम्ब ऑफ अननोन सोल्जर्स जाकर पोलैंड के उन शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने अपने देश के लिए जान दी. लड़ाई में उनके शव ऐसे क्षत-विक्षत हुए कि उनको पहचानना मुमकिन नहीं हो सका. इस स्मारक पर जाकर पीएम ने पोलैंड के गौरवशाली इतिहास को भारत का सम्मान दिया. अब पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा पर निगाह है.
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