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This Article is From Dec 06, 2024

'ईसा मसीह आए थे सपने में...',लिंगायत संत शिवकुमार स्वामी की प्रतिमा तोड़ने वाले आरोपी का अजीबो-गरीब दावा

लिंगायत संत की प्रतिमा तोड़े जाने की खबर फैलते ही लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था. स्थानीय लोग मांग कर रहे थे कि जिस आरोपी ने ये किया उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाए. पुलिस ने भी मामले की गंभीरता को समझते हुए आरोपी को तुरंत गिरफ्तार किया.

'ईसा मसीह आए थे सपने में...',लिंगायत संत शिवकुमार स्वामी की प्रतिमा तोड़ने वाले आरोपी का अजीबो-गरीब दावा
मूर्ति तोड़ने वाले को किया गया गिरफ्तार
नई दिल्ली:

बेंगलुरु पुलिस ने सिद्धगंगा मठ के लिंगायत संत शिवकुमार स्वामी की प्रतिमा को तोड़ने के आरोप में श्रीकृष्ण नाम एक शख्स को गिरफ्तार किया है. पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार श्रीकृष्ण बतौर डिलीवरी एक्जीक्यूटिव काम करता है. घटना 30 नवंबर की बताई जा रही है. पुलिस की पूछताछ में आरोपी श्रीकृष्ण ने हैरान करने वाले खुलासे किए हैं. आरोपी ने अपना गुनाह कबूलते हुए कहा है कि उसने अपने सपने में ईसा मसीह को देखा था, इसी सपने में उसे प्रेरणा मिली की वह इस मूर्ति को तोड़े. औ इस वजह से ही उसने ऐसा किया है. 

आपको बता दें कि यह घटना बेंगलुरु के वीरभद्र नगर में देर रात करीब 1:30 बजे की है. उस दौरान श्रीकृष्ण कथित तौर पर मूर्ति के पास पहुचा और वहां से जाने से पहले उसे आंशिक रूप से खंडित कर दिया. इस घटना के बारे में लोगों को दूसरे दिन सुबह पता चला. इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई. इस घटना के वजह से इलाके में विरोध प्रदर्शन और आरोपी को पकड़ने की मांग की जाने लगी. आनन-फानन में पुलिस हरकत में आई और आरोपी की तलाश शुरू की गई.

पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए श्रीकृष्ण को बेंगलुरु के आर्कबिशप डॉ. पीटर मचाडो ने आरोपी के औचित्य की निंदा करते हुए इसे "निराधार और निंदनीय" बताया और लोगों से सांप्रदायिक उकसावे की कोशिशों का शिकार न बनने का आग्रह किया.आर्कबिशप ने कहा कि ऐसे बयानों का उद्देश्य केवल सांप्रदायिक तनाव और कलह फैलाना है. शिवकुमार स्वामी जी जैसे महान संत, जो शांति,करुणा और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के प्रतीक थे,के प्रति यह अनादर अस्वीकार्य है.

पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या श्रीकृष्ण के मानसिक स्वास्थ्य ने अपराध में कोई भूमिका निभाई है. पुलिस ने पुष्टि की है कि एक मेडिकल जांच की गई है, और आगे का मूल्यांकन चल रहा है. हालांकि,वे पूरी तरह से जांच किए बिना केवल मनोवैज्ञानिक कारकों को समय से पहले इस कृत्य के लिए जिम्मेदार ठहराने को लेकर सतर्क रहते हैं.

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