आजम खान (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
यूपी के बुलंदशहर में मां- बेटी से गैंगरेप के मामले में यूपी के मंत्री आजम खान ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके कहा कि रेप पीड़ितों के दर्द को पूरी तरह समझता हूं.
हलफनामे में उन्होंने कहा कि मैं मंत्री के तौर पर और निजी तौर पर उनकी मदद करने के लिए तत्पर हूं. मैंने कभी भी रेप पीड़ितों पर सवाल नहीं उठाए न ही उनके खिलाफ कुछ बोला. मैं कभी ऐसे घृणित अपराध की शिकार महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने की सोच भी नहीं सकता. मैं सालों से समाजसेवा में हूं और एक यूनिवर्सिटी भी बनाई है, जो महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम करती है.
मैंने कभी नहीं कहा कि यह राजनितिक साजिश है. मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया. इसके लिए आजम ने सुप्रीम कोर्ट में सीडी भी दी है. मेरा कभी उद्देश्य नहीं रहा कि मैं किसी पीड़ित महिला के सम्मान को ठेस पहुंचाऊं. मैं रेप पीड़ितों का दर्द समझता हूं. दाखिल अर्जी में सारे आरोप बेबुनियाद हैं. अर्जी को खारिज की जाए.
सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि 7 दिसंबर तक आजम खान तक बिना शर्त माफी मांगने का हलफनामा दाखिल करेंगे. पीड़िता को केंद्र सरकार केंद्रीय विद्यालय में दाखिला दिलाएगी और उसकी पढ़ाई का खर्चा यूपी सरकार उठाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने AG मुकुल रोहतगी को कहा कि संवैधानिक सवालों पर कोर्ट की मदद करेंगे.
गौरतलब है कि यूपी के बुलंदशहर में मां- बेटी से गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई हो रही है. पिछली सुनवाई में यूपी के मंत्री आजम खान ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उन्होंने यह बयान नहीं दिया था कि गैंगरेप के पीछे राजनीतिक साजिश है. आजम खान की ओर से पेश कपिल सिब्बल ने कहा था कि आजम ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया था कि गैंगरेप राजनीतिक साजिश है. उनके बयानों को तोड़मरोड़कर पेश किया गया वह इसका रिकॉर्ड भी दिखाने को तैयार हैं. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के मंत्री आजम खान को कहा कि आप इस आरोप का जवाब दीजिए.कोर्ट ने कहा कि इतने सारे अखबार कैसे गलत खबर छाप सकते हैं. प्रेस की भी देश के प्रति जवाबदेही होती है. इस मामले की जांच होनी चाहिए.
सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा इस तरह के बयान से कोई भी व्यक्ति मानहानि का केस दाखिल कर सकता है लेकिन रेप केस में पीडिता जनहित के तहत भी कोर्ट आ सकती है। ये भडकाऊ भाषण का मामला नहीं है, ये रेप पीडिता के सम्मान और लंबित जांच पर सवाल है। दरअसल यूपी के बुलंदशहर में मां- बेटी से गैंगरेप के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इससे पहले आजम खान की तरफ से किसी के भी पेश नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नोटिस जारी होने के बावजूद वह पेश नहीं हुए, जबकि उनकी तरफ किसी को तो पेश होना ही चाहिए था।
दरअसल आजम खां ने इस घटना को कथित रूप से राजनीतिक षड्यंत्र बताया था, जिसके बाद गैंगरेप पीड़ित के पिता की अपील पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और राज्य के शहरी विकास मंत्री आजम खान को नोटिस जारी किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने आजम खान की टिप्पणियों पर यूपी सरकार और आजम खान को नोटिस जारी करते वक्त फटकार लगाते हुए कहा था कि क्या प्रशासन या सरकार के अहम ओहदे पर बैठा व्यक्ति यह कह सकता है कि इस तरह की घटनाएं राजनीतिक साजिश के तहत होती हैं, जबकि घटना से व्यक्ति का कोई लेना-देना ना हो
हलफनामे में उन्होंने कहा कि मैं मंत्री के तौर पर और निजी तौर पर उनकी मदद करने के लिए तत्पर हूं. मैंने कभी भी रेप पीड़ितों पर सवाल नहीं उठाए न ही उनके खिलाफ कुछ बोला. मैं कभी ऐसे घृणित अपराध की शिकार महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने की सोच भी नहीं सकता. मैं सालों से समाजसेवा में हूं और एक यूनिवर्सिटी भी बनाई है, जो महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम करती है.
मैंने कभी नहीं कहा कि यह राजनितिक साजिश है. मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया. इसके लिए आजम ने सुप्रीम कोर्ट में सीडी भी दी है. मेरा कभी उद्देश्य नहीं रहा कि मैं किसी पीड़ित महिला के सम्मान को ठेस पहुंचाऊं. मैं रेप पीड़ितों का दर्द समझता हूं. दाखिल अर्जी में सारे आरोप बेबुनियाद हैं. अर्जी को खारिज की जाए.
सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि 7 दिसंबर तक आजम खान तक बिना शर्त माफी मांगने का हलफनामा दाखिल करेंगे. पीड़िता को केंद्र सरकार केंद्रीय विद्यालय में दाखिला दिलाएगी और उसकी पढ़ाई का खर्चा यूपी सरकार उठाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने AG मुकुल रोहतगी को कहा कि संवैधानिक सवालों पर कोर्ट की मदद करेंगे.
गौरतलब है कि यूपी के बुलंदशहर में मां- बेटी से गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई हो रही है. पिछली सुनवाई में यूपी के मंत्री आजम खान ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उन्होंने यह बयान नहीं दिया था कि गैंगरेप के पीछे राजनीतिक साजिश है. आजम खान की ओर से पेश कपिल सिब्बल ने कहा था कि आजम ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया था कि गैंगरेप राजनीतिक साजिश है. उनके बयानों को तोड़मरोड़कर पेश किया गया वह इसका रिकॉर्ड भी दिखाने को तैयार हैं. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के मंत्री आजम खान को कहा कि आप इस आरोप का जवाब दीजिए.कोर्ट ने कहा कि इतने सारे अखबार कैसे गलत खबर छाप सकते हैं. प्रेस की भी देश के प्रति जवाबदेही होती है. इस मामले की जांच होनी चाहिए.
सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा इस तरह के बयान से कोई भी व्यक्ति मानहानि का केस दाखिल कर सकता है लेकिन रेप केस में पीडिता जनहित के तहत भी कोर्ट आ सकती है। ये भडकाऊ भाषण का मामला नहीं है, ये रेप पीडिता के सम्मान और लंबित जांच पर सवाल है। दरअसल यूपी के बुलंदशहर में मां- बेटी से गैंगरेप के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इससे पहले आजम खान की तरफ से किसी के भी पेश नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नोटिस जारी होने के बावजूद वह पेश नहीं हुए, जबकि उनकी तरफ किसी को तो पेश होना ही चाहिए था।
दरअसल आजम खां ने इस घटना को कथित रूप से राजनीतिक षड्यंत्र बताया था, जिसके बाद गैंगरेप पीड़ित के पिता की अपील पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और राज्य के शहरी विकास मंत्री आजम खान को नोटिस जारी किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने आजम खान की टिप्पणियों पर यूपी सरकार और आजम खान को नोटिस जारी करते वक्त फटकार लगाते हुए कहा था कि क्या प्रशासन या सरकार के अहम ओहदे पर बैठा व्यक्ति यह कह सकता है कि इस तरह की घटनाएं राजनीतिक साजिश के तहत होती हैं, जबकि घटना से व्यक्ति का कोई लेना-देना ना हो
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