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हाथरस हादसा : पानी से भरे गड्ढे में दफन हो गई जिंदगियां, समझें घटना के दौरान क्या कुछ हुआ

सत्संग खत्म होते ही एक साथ भीड़ बाहर निकली और कुछ ही दूर पर बनी पार्किंग तक जाने के लिए दौड़ पड़ी. पहले से ही भीड़ को संभालने की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी.

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हाथरस हादसा : पानी से भरे गड्ढे में दफन हो गई जिंदगियां, समझें घटना के दौरान क्या कुछ हुआ
इस घटना में 116 लोगों की मौत हो गई है, जिसमें 108 महिलाएं हैं. 
हाथरस:

उत्तर प्रदेश के हाथरस में मंगलवार को हुए एक दिल को झकझोर कर रख देने वाले हादसे में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है. यह घटना मंगलवार की है. यहां हजारों की संख्या में लोग सत्संग में शामिल होने के लिए पहुंचे थे लेकिन उन्हें कहां पता था कि वो जिस सत्संग में शामिल होने जा रहे हैं, उस सत्संग के बाहर मौत उनका इंतजार कर रही है. बता दें कि इस घटना में 116 लोगों की मौत हो गई है, जिसमें 108 महिलाएं हैं. 

दिल दहला देने वाला था मंजर

हाथरस के सिंदराराऊ में जो कुछ हुआ उसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की होगी. न तो सत्संग के आयोजक और न ही उसमें शामिल होने वाले श्रद्धालु. भोले बाबा का काफिला निकालने के लिए भीड़ कुछ इस तरह से उमड़ी की भगदड़ मच गई और फिर कोई खेत के किनारे गिरा तो कोई बारिश के पानी से भरे गड्ढे में जा गिरा. इस गहरे गड्ढे में से पुलिस ने कई शवों को बाहर निकाला गया. इसके बाद पुलिस ने सभी शवों को अस्पताल पहुंचाया लेकिन इस मंजर ने लोगों को हिला कर रख दिया है. 

पार्किंग में नहीं थी व्यवस्था

सत्संग खत्म होते ही एक साथ भीड़ बाहर निकली और कुछ ही दूर पर बनी पार्किंग तक जाने के लिए दौड़ पड़ी. पहले से ही भीड़ को संभालने की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. इस वजह से भगदड़ में छोटे बच्चे गिर गए और उन्हें बचाने के लिए उनकी मां भी गिर पड़ी. एक के बाद एक गिरे लोगों पर भीड़ बढ़ती चली गई और लोग उन्हें रौंदते हुए निकलने लगे. रास्ते के पास ही एक 8 फीट का गहरा गड्ढा भी था, जिसमें बारिश का पानी जमा हो रखा था. इस भगदड़ के दौरान उसमें भी कई वृद्ध और बच्चे जा गिरे. 

गड्ढे में गिर कर कई लोगों की हुई मौत

भगदड़ इतनी खतरनाक थी कि सभी लोग वहां से निकलने के लिए बस भाग पड़े और कौन गिर रहा है इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा. सभी लोग खुद को बचाने के लिए खेत की ओर भाग रहे थे. बाद में मौके पर पहुंची पुलिस ने गड्ढे में से कई शवों को बाहर निकाला. इस सत्संग का आयोजन 150 बीघा के मैदान पर किया गया था. वहीं इससे दूर पार्किंग बनाई गई थी, जहां वाहनों को खड़ा करने की कोई व्यवस्था नहीं थी. 

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