कांग्रेस नेता राहुल गांधी को कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनाई है. हालांकि एक महीना के लिए उनकी सजा पर रोक लगाई गई है. वो अभी जेल नहीं जाएंगे. लेकिन इस सब के बीच उनकी लोकसभा सदस्यता पर सवाल उठने लगे हैं. सवाल यह है कि क्या उनकी सदस्यता बचेगी? कानून के अनुसार 2 साल या उससे अधिक की सजा होने पर जनप्रतिनिधि की सदस्यता चली जाती है. कई राज्यों और देश के सांसदों में कई राजनेताओं की सदस्यता इस कानून के कारण गई है. लेकिन इन सब के बीच सवाल यह है कि अदालत के इस फैसले का राजनीतिक असर क्या होगा? क्योंकि पिछड़े रिकॉर्डों के अनुसार कई ऐसे मौके आए हैं जब सजा या सदस्यता जाने के बाद भी राजनीतिक दलों या उनके नेताओं के जनाधार पर कुछ खास असर नहीं देखा गया है.
बिहार में चारा घोटाले में सजा के बाद लालू प्रसाद की सदस्यता चली गई थी लेकिन उसके बाद भी उनकी पार्टी के राजनीतिक आधार पर कोई खास असर नहीं देखने को मिला. लालू प्रसाद पर चुनाव लड़ने से प्रतिबंध लगने के बाद भी उनकी पार्टी बिहार में 2 बार सत्ता में आ चुकी है.
इस मुद्दे पर बीजेपी प्रवक्ता अपराजिता सारंगी ने कहा कि हमें कांग्रेस के साथ सहानुभूति है. बीजेपी को किसी भी तरह की आशंका और भय नहीं है. कांग्रेस आत्मधाती रास्ते पर चल रही है. इनके नेता आत्म चिंतन नहीं कर रहे हैं. कांग्रेस पार्टी को जनता का साथ नहीं मिलेगा. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता अजॉय कुमार ने कहा कि मोदी इज नॉट इंडिया और बीजेपी इज नॉट इंडिया. हमें जनता का साथ मिलेगा.
इधर कांग्रेस के कई नेताओं का कहना है कि जिस तरह से इंदिरा गांधी ने 1978 में सजा के बाद 1980 में वापसी की थी ठीक उसी तरह राहुल गांधी भी वापसी करेंगे. गौरतलब है कि ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951' की धारा 8 (3) के तहत अब तक कई राज्यों में राजनेताओं की सदस्यता खत्म हुई है. हालांकि कई जगहों पर पति या पिता की सदस्यता जाने के बाद उसी सीट से उनके परिवार के सदस्य ही चुनकर वापस आए हैं.
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