स्पेन में मूसलाधार बारिश की वजह आई बाढ़ ने तबाही बचा दी... सैकड़ों लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं, जिन्हें तलाशने के लिए हजारों लोग जुटे हुए हैं. एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, विनाशकारी बाढ़ से अब तक 205 से लोगों के मारे जाने की आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है. लेकिन राहत और बचाव में जुटे लोग अब भी कुछ लोगों के बचे होने की उम्मीद कर रहे हैं. मंगलवार को आई बाढ़ में कारें बह गईं, पुल ढह गए और कई क्षेत्र कीचड़ से ढक गए. इसे दशकों बाद आई यूरोपीय देश की सबसे घातक आपदा कहा जा रहा है. सबसे अधिक प्रभावित पूर्वी वालेंसिया क्षेत्र में आपातकालीन सेवाओं से जुड़े संगठन ने कहा कि वहां 202 लोगों के मरने की पुष्टि की गई है.
दक्षिण में पड़ोसी कैस्टिला-ला मंच और अंडालूसिया के अधिकारियों ने पहले ही अपने क्षेत्रों में संयुक्त रूप से तीन मौतों की घोषणा कर दी थी. हेलीकॉप्टरों, ड्रोनों और खोजी कुत्तों से लैस बचावकर्मी दर्जनों लोगों की तलाश में पानी में उतर मलबे में जिंदगियां तलाश रहे हैं. अधिकारियों का मानना है कि कुछ लोग अभी भी लापता हैं. सरकार ने खोज, बचाव और रसद कार्यों के लिए पहले से मौजूद 1,200 सैनिकों के अलावा प्रभावित क्षेत्रों में 500 अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया है. शनिवार को 500 सैनिकों को भेजा जाएगा.
स्पेन की आपदा प्रबंधन से जुड़ी मंत्री फर्नांडो ग्रांडे-मारलास्का ने कहा कि अकेले सिविल गार्ड ने शुक्रवार दोपहर तक 4,500 से अधिक लोगों को बचाया. लेकिन आपदा के तीन दिन बाद, और लोगों के जीवित बचे होने की उम्मीदें कम होती जा रही है. वालेंसिया शहर के कोर्टहाउस को मुर्दाघर में बदल दिया गया है, जहां स्वास्थ्यकर्मी स्मॉक पहनकर सफेद चादर से ढके स्ट्रेचर लेकर जाते नजर आ रहे हैं.
बाढ़ के कारण कई क्षेत्र में लोगों को पानी, भोजन या बिजली की दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, कई सड़कें और रेलवे ट्रैक भी कीचड़ से दब गए हैं. एएफपी के पत्रकारों ने देखा कि इंजीनियरों ने टूटी-फूटी रेलवे पटरियों पर बिखरी हुई लावारिस कारों और क्षतिग्रस्त सड़कों और जलमग्न खेतों से टरमैक के स्लैबों को हटाने का काम किया. ऐसा माना जा रहा है कि हजारों लोग बिजली और टेलीफोन नेटवर्क से कटे हुए हैं, लेकिन उम्मीद है कि कनेक्शन बहाल होने के बाद लापता लोगों की अनुमानित संख्या में कमी आएगी.
पीएम सांचेज ने बुधवार सुबह एक आपातकालीन कैबिनेट बैठक बुलाई और दोपहर में एक औपचारिक घोषणा की, जिसमें बाढ़ पीड़ितों के परिवारों को अपनी सरकार से पूरा समर्थन देने का वादा किया गया है. मौसम वैज्ञानिकों ने इस मूसलाधार बारिश के लिए ‘दाना' को जिम्मेदार ठहराया है. उनका मानना है कि यह तब होता है, जब एक ठंडी हवा की प्रणाली भूमध्य सागर के गर्म जल से टकराती है. जबकि इसके प्रभाव अक्सर स्थानीय होते हैं. इसी तरह की घटनाओं ने 1966 और 1957 में तबाही मचाई थी, जब टुरिया नदी उफान पर थी और उसने वेलेंसिया शहर को तबाह कर दिया था.
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